बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस-नेतृत्व वाली सरकार के दौर में धार्मिक असहिष्णुता के नए उदाहरण सामने आ रहे हैं। बुधवार (19 नवंबर) को लोकप्रिय बाउल गायक अबुल सरकार को कथित ‘ईशनिंदा’ के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। गिरफ्तारी के तुरंत बाद उग्र इस्लामी भीड़ ने न केवल अदालत परिसर में उन्हें घेरा बल्कि उनके समर्थकों को पहचानकर धमकी और हिंसा शुरू कर दी।
शिकायतकर्ता मुफ़्ती मोहम्मद अब्दुल्लाह ने दावा किया कि अबुल सरकार ने इस्लाम और अल्लाह के खिलाफ ‘अपमानजनक टिप्पणी’ की। वहीं गायक के सहायक राजू सरकार ने कहा कि आरोप झूठे और संदर्भ से काटे गए वीडियो पर आधारित हैं। उनके मुताबिक, अबुल सरकार ने अपने प्रदर्शन में धार्मिक कट्टरता पर सवाल उठाए थे—जिसे इस्लामी समूहों ने जानबूझकर ‘ईशनिंदा’ का रूप दिया।
गिरफ्तारी के बाद अदालत परिसर में ‘तौहीदी जनता’ और ‘आलिम-उलेमा’ से जुड़े समूहों ने अबुल सरकार को कड़ी सज़ा देने की मांग की। भीड़ ने उनके समर्थकों के पीछे पड़कर माहौल को पूरी तरह दहशत से भर दिया।
रविवार (23 नवंबर) को मनिकगंज (ढाका डिवीजन) में अबुल सरकार की रिहाई की मांग कर रहे समर्थकों पर इस्लामी भीड़ ने लाठी-डंडों और ईंट-पत्थरों से हमला किया। चार लोग गंभीर रूप से घायल हुए। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में इस्लामी भीड़ खुलेआम नारे लगा रही है, “একটা দুইটা বাউল ধর, ধইরা ধইরা জবাই কর” (“एक-एक बाउल को पकड़ो, और एक-एक करके काट दो।”)
मनिकगंज के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (क्राइम एवं ऑपरेशंस) मुहम्मद अब्दुल्ला ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि “एक समूह सज़ा की मांग कर रहा था, दूसरा रिहाई की इसी दौरान तौहीदी जनता का एक धड़ा हिंसक हो गया।”
बौल गायक बंगाल की सबसे पुरानी और विशिष्ट लोक परंपरा के वाहक हैं। यूनुस शासन के दौरान लगातार दहशत में जी रहे हैं। पहले भी बांग्लादेश में ‘ईशनिंदा’ को हथियार बनाकर हिंदुओं और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की घटनाएँ रिपोर्ट होती रही हैं। अब ‘हराम संगीत’ के नाम पर बाउल परंपरा को सीधे निशाने पर लिया जा रहा है।
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