फ्रांस की राजधानी पेरिस के प्रतिष्ठित लूव्र म्यूज़ियम (Louvre Museum) में हुई चौंकाने वाली ज्वेलरी चोरी ने देश की सुरक्षा व्यवस्था और प्रतिष्ठा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। रविवार (19 अक्तूबर)को दिनदहाड़े हुए इस सात मिनट के हाई-प्रोफाइल हीस्ट में चोरों ने आठ ऐतिहासिक फ्रेंच क्राउन ज्वेल्स, जिनमें राजसी ताज (tiaras) और हार (necklaces) शामिल हैं, चुरा लिए।
सोमवार को फ्रेंच रेडियो स्टेशन ‘France Inter’ से बात करते हुए न्याय मंत्री जेराल्ड डारमेनिन (Gerard Darmanin) ने खुलकर कहा, “यह तो निश्चित है कि हम असफल रहे।”
उन्होंने माना कि यह घटना न केवल देश की सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी दिखाती है, बल्कि इससे फ्रांस की अंतरराष्ट्रीय साख को भी गहरा आघात पहुंचा है। मंत्री ने कहा कि देश में कई ऐसे म्यूज़ियम हैं जिनमें “अनमोल धरोहरें” रखी हैं, और ऐसे में यह सुरक्षा चूक “बहुत गंभीर” है। डारमेनिन ने यह भी जोड़ा, “इस वारदात ने फ्रांस की छवि को बहुत नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, क्योंकि यह हमारे सुरक्षा तंत्र की नाकामी को उजागर करता है।”
न्याय मंत्री ने आश्वासन दिया कि पुलिस पूरी ताकत से जांच में जुटी है और “अपराधियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।”
घटना के बाद फ्रांसीसी पुलिस ने पेरिस और उसके आसपास के क्षेत्रों में व्यापक तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चार चोरों ने दिनदहाड़े लूव्र की गैलरी ऑफ अपोलो (Gallery of Apollo) में यह चोरी अंजाम दी। उन्होंने एक मैकेनिकल लिफ्ट और कटिंग टूल्स की मदद से सुरक्षा तोड़ी और महज़ सात मिनट में म्यूज़ियम से निकल गए।
उनके निशाने पर फ्रांस के राजघरानों के ऐतिहासिक आभूषण थे, जिनमें राजसी ताज और हीरे-जवाहरात जड़े हार शामिल थे। यह चोरी 1911 में ‘मोना लिसा’ की चोरी के बाद लूव्र में हुई सबसे बड़ी घटना मानी जा रही है।
कला विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इन अनमोल आभूषणों को तुरंत नष्ट या पिघलाया जा सकता है, ताकि सोने और रत्नों को काले बाजार में बेचा जा सके। यह नुकसान फ्रांस की सांस्कृतिक धरोहर के लिए अपूर्णीय माना जा रहा है।
लूव्र दुनिया का सबसे प्रसिद्ध म्यूज़ियम है, जो हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह घटना न केवल सुरक्षा तंत्र पर सवाल उठाती है, बल्कि पेरिस के अन्य सांस्कृतिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था को भी फिर से जांचने की मांग उठा रही है।
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