ईरान से तेल व्यापार पर और सख्त हुए ट्रंप — भारत की दो कंपनियों और दो कारोबारियों पर अमेरिका ने लगाया प्रतिबंध

‘अवैध पेट्रोलियम नेटवर्क’ चलाने का आरोप

ईरान से तेल व्यापार पर और सख्त हुए ट्रंप — भारत की दो कंपनियों और दो कारोबारियों पर अमेरिका ने लगाया प्रतिबंध

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने ईरान के साथ कथित अवैध तेल व्यापार पर अपनी सख्ती बढ़ाते हुए भारत स्थित दो कंपनियों और दो भारतीय कारोबारियों सहित कुल 58 संस्थाओं, व्यक्तियों, जहाजों और विमानों पर नए प्रतिबंध लगा दिए हैं। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब अमेरिका मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव और ईरान की आर्थिक क्षमता को सीमित करने के लिए उसके पेट्रोलियम निर्यात तंत्र पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर रहा है।

अमेरिका के विदेश विभाग ने 20 नवंबर को भारत, पनामा, सेशेल्स सहित कई देशों में 17 संस्थाओं और व्यक्तियों को नामित किया। इसके बाद ट्रेजरी विभाग ने 41 और इकाइयों को प्रतिबंध सूची में डालते हुए कहा कि ये सभी ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की बिक्री, शिपमेंट और वित्तीय नेटवर्क में सक्रिय हैं।

अमेरिका ने भारतीय नागरिक जैर हुसैन और ज़ुल्फ़िकार हुसैन तथा उनकी कंपनी RN Ship Management Pvt Ltd को प्रतिबंधित कर दिया है। अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि यह कंपनी 2025 की शुरुआत से कई ऐसे जहाजों का संचालन कर रही थी, जिनका इस्तेमाल ईरानी तेल की ढुलाई के लिए हो रहा था।

इसके साथ ही, भारत स्थित पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार से जुड़ी कंपनी TR6 Petro India LLP पर भी बैन लगाया गया है। अमेरिकी दावा है कि इस कंपनी ने अक्टूबर 2024 से जून 2025 के बीच 8 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य का ईरानी मूल का बिटुमेन आयात किया और इस दौरान वह ऐसे नेटवर्क का हिस्सा रही जिसने अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए ईरान को पेट्रोलियम उत्पादों की आवाजाही में मदद की।

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह पूरा नेटवर्क ईरान की सरकार को ऐसी आय उपलब्ध कराता है जिसका उपयोग वह क्षेत्रीय प्रॉक्सी समूहों को समर्थन देने और हथियार खरीद के लिए करती है। वाशिंगटन का आरोप है कि ईरान इन गुप्त चैनलों के जरिए प्रतिबंधों को दरकिनार कर रहा है। ईरान ने हमेशा की तरह इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि अमेरिका आर्थिक दबाव की राजनीति चला रहा है।

ट्रंप सरकार पहले ही ईरान पर अधिकतम दबाव (Maximum Pressure) नीति को आगे बढ़ा चुकी है। हाल के हफ्तों में अमेरिका द्वारा ईरानी तेल खरीदने वाले देशों को चेतावनी देना , कंपनियों के लिए ‘विंड-डाउन’ अवधि खत्म करना, नए शिपिंग नेटवर्क्स की निगरानी और वित्तीय चैनलों पर प्रतिबंध लगाना संकेत देता है कि वाशिंगटन ईरान के तेल कारोबार की रीढ़ तोड़ने के लिए वैश्विक स्तर पर आक्रामक कदम उठा रहा है।

नए प्रतिबंधों के बाद भारतीय कंपनियों की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं, क्योंकि भारत ने आधिकारिक रूप से ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों को नहीं अपनाया है, लेकिन डॉलर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यापार तंत्र पर निर्भरता के चलते कई भारतीय फर्में अमेरिकी दबाव का सामना करती रही हैं।

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