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Monday, December 8, 2025
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रूस-ईरान से तेल आयात पर अमेरिका के दबाव को चीन और भारत ने किया खारिज!

कहा- 'दबाव से कुछ नहीं होगा'

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चीन ने सोमवार (4 अगस्त) को अमेरिका की उस मांग को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें वॉशिंगटन ने बीजिंग से ईरान और रूस से तेल आयात बंद करने को कहा था। चीन के विदेश मंत्रालय ने दो टूक शब्दों में कहा, “चीन हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। जबरदस्ती और दबाव डालने से कुछ हासिल नहीं होगा। चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की दृढ़ता से रक्षा करेगा।”

चीन के इस सख्त रुख के समानांतर भारत ने भी अमेरिका की चेतावनी को अनदेखा करते हुए रूस से तेल खरीद जारी रखने का संकेत दिया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, नई दिल्ली ने स्पष्ट किया है कि वह मास्को से कच्चे तेल की खरीद पर कोई रोक लगाने का इरादा नहीं रखती।

अमेरिका की ओर से यह दबाव ऐसे समय में आया है जब सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने एक कानून प्रस्तावित किया है जिसके तहत रूस से तेल या अन्य संसाधन आयात करने वाले देशों पर 500 प्रतिशत तक का सेकेंडरी टैरिफ लगाया जा सकता है। ग्राहम ने बयान में कहा, “इस प्रस्ताव का उद्देश्य चीन जैसे कम्युनिस्ट तानाशाही देशों को रूस से बाजार मूल्य से नीचे तेल खरीदने से रोकना है।”

इस विवाद के केंद्र में है अमेरिका की वह नीति, जिसके तहत वह रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान तक रूस के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाना चाहता है। लेकिन चीन, जो वैश्विक तेल बाजार में एक बड़ा खिलाड़ी है, इस अमेरिकी दबाव के आगे झुकता नहीं दिख रहा।

यूएस ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने भी माना कि “चीनी अपनी संप्रभुता को बहुत गंभीरता से लेते हैं।” उन्होंने कहा कि चीन 100% टैरिफ चुकाने को तैयार है लेकिन अपनी ऊर्जा नीति में कोई बदलाव नहीं करेगा। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें चीन के साथ संभावित समझौते की उम्मीद है। वहीं, चीन के वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) स्टडीज़ इंस्टीट्यूट के तु शिनकुआन ने साफ कहा, “अगर अमेरिका टैरिफ लगाने पर अड़ा रहता है, तो चीन अंत तक मुकाबला करेगा।”

इस बीच, एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के डैनी रसेल ने इस मुद्दे के रणनीतिक पहलू को रेखांकित करते हुए कहा कि “अब चीन खुद को अमेरिका के साथ संघर्ष में ताकत की स्थिति में मानता है।” उनका मानना है कि अमेरिका एक “हैडलाइन-हथियाने वाला सौदा” चाहता है, लेकिन चीन के लिए रूस और ईरान से आयात किया गया तेल रणनीतिक रूप से बेहद जरूरी है।

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