वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत ने कुल 8.32 मिलियन टन फिनिश्ड स्टील का आयात किया, जो 2022-23 की तुलना में 38% अधिक है। यह जानकारी केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने राज्यसभा में लिखित जवाब के रूप में दी। सबसे अधिक आयात चीन (2,687 हजार टन), दक्षिण कोरिया (2,670 हजार टन) और जापान (1,274 हजार टन) से हुआ।
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि स्टील एक विनियामक मुक्त (deregulated) क्षेत्र है, और आयात-निर्यात के निर्णय स्टील कंपनियां तकनीकी और व्यावसायिक मापदंडों के आधार पर लेती हैं। हालांकि, केंद्र सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए नीतिगत वातावरण तैयार करने में सहायक भूमिका निभाती है।
सरकार ने देश में स्टील के आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू उत्पादकों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें प्रमुख रूप से ‘डोमेस्टिकली मैन्युफैक्चर्ड आयरन एंड स्टील प्रोडक्ट्स (DMI\&SP)’ नीति को लागू किया गया है, जिससे सरकारी खरीद में ‘मेड इन इंडिया’ स्टील को प्राथमिकता मिलती है।
विशेष इस्पात (स्पेशियलिटी स्टील) के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना की शुरुआत की गई है, ताकि देश में निवेश बढ़े और आयात घटे। घटिया गुणवत्ता वाले स्टील उत्पादों पर नियंत्रण रखने के लिए स्टील क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर लागू किया गया है, जिससे न केवल घरेलू बाजार बल्कि आयात में भी खराब उत्पादों की बिक्री पर रोक लगे। इसके अलावा, केंद्रीय बजट 2024-25 में स्टील उद्योग को राहत देने के लिए फेरो-निकल और मोलिब्डेनम अयस्कों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को शून्य कर दिया गया है।
लौह स्क्रैप पर छूट को 31 मार्च 2026 तक जारी रखा गया है, वहीं सीआरजीओ स्टील के निर्माण में प्रयुक्त कच्चे माल पर ड्यूटी छूट को भी 2026 तक बढ़ा दिया गया है। ये सभी उपाय मिलकर देश को स्टील उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इसके अलावा सरकार ने चीन, कोरिया, जापान, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों से आयातित स्टील उत्पादों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी और काउंटर-वेलिंग ड्यूटी लगाई है, ताकि घरेलू उद्योग को सस्ती और नुकसानदायक आयात से बचाया जा सके। स्टील आयात निगरानी प्रणाली (SIMS) को भी बेहतर बनाते हुए SIMS 2.0 की शुरुआत 25 जुलाई 2024 को की गई, जिससे आयात पर और प्रभावी निगरानी रखी जा सके।
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