पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू में शुरू हुआ टकराव अब बड़ा स्वरूप लेता जा रहा है। कांग्रेस को अब यह डर सताने लगा है कि कहीं यह छोटा-मोटा विवाद बड़ा न हो जाये और आने वाले विधान सभा में इसका खामियाजा भुगतना पड़े.
नई दिल्ली। यह तो होना ही है। विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद और पंजाब में हुए बेअदबी कांड के बाद राज्य में घमासान मचा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार इस हो हल्ला के बीच अमरिंदर सिंह मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव करने वाले हैं। खबर यह भी है कि गुरुवार को इसी संबंध में ली जा रही बैठक में मंत्री अरुणा चौधरी मीटिंग छोड़ कर बहार चली गई। पंजाब में कांग्रेस की आंतरिक कलह चरम पर है। यह टशन केवल पंजाब में ही नहीं बल्कि हर राज्य में और हर कार्यकर्ता में है। पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू में शुरू हुआ टकराव अब बड़ा स्वरूप लेता जा रहा है। कांग्रेस को अब यह डर सताने लगा है कि कहीं यह छोटा-मोटा विवाद बड़ा न हो जाये और आने वाले विधान सभा में इसका खामियाजा भुगतना पड़े. पार्टी इस विवाद को जल्द सुलझाने के मूड में है,लेकिन विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है.
पंजाब सूबे में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है और कांग्रेस एक बार फिर अपना परचम लहराना चाहती, लेकिन नवजोत सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं। सिद्धू भी कहा चुके हैं की अगर इस टकराव को रोका नहीं गया तो पार्टी विधान सभा का चुनाव हर सकती है। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू का झगड़ा पुराना है। सिद्धू किसी न किसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री को घेरते रहे हैं। पर इस बार पार्टी के कई दूसरे नेता भी खुलकर सिद्धू की हिमायत कर रहे हैं। इस लिए कांग्रेस की चिंता बढ़ना लाजमी है।
हालांकि पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि कांग्रेस एकजुट होकर ही विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सकती है। फ़िलहाल या कलह सुलझाना बहुत जरूरी है. नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इस मामले में कहा कि जो कुछ हुआ है उसकी जानकारी हाईकमान को दे दी गई है। विवाद को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। जानकारों की माने तो दिनों नेताओं को जल्द ही दिल्ली बुलाया जा सकता है. हालांकि कब यह कहना मुश्किल है।
वही, कांग्रेस के कार्य समिति की बैठक के बाद 5 राज्यों में मिली हार के बाद चुनाव नतीजों की समीक्षा के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जिसमें मनीष तिवारी को भी शामिल किया गया। यह कमेटी हर की समीक्षा क्र रिपोर्ट सौंपेगी।