डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर की जासूसी से संबंधित एफबीआई के 2.4 लाख से अधिक पन्नों के दस्तावेज़ ट्रंप प्रशासन द्वारा सार्वजनिक किए गए हैं। यह निर्णय पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश के तहत लिया गया, जिसके तहत प्रमुख राजनीतिक हत्याओं से जुड़े दस्तावेजों को वर्गीकृत (declassify) किया गया है। हालांकि, इस कदम पर किंग के परिवार और नागरिक अधिकार संगठन की ओर से तीखी भावनात्मक प्रतिक्रिया आई है।
परिवार की अनुमति के बिना सार्वजनिक किए गए गोपनीय दस्तावेज़:
डॉ. किंग की 1968 में हत्या के बाद, एफबीआई द्वारा इकट्ठे किए गए ये दस्तावेज़ 1977 से कोर्ट के आदेश पर सीलबंद थे। अब इन्हें नेशनल आर्काइव्स को सौंपा गया है। इनमें दिखाया गया है कि कैसे एफबीआई ने किंग की निगरानी की, उनकी छवि को धूमिल करने और उनके नेतृत्व को कमजोर करने के प्रयास किए, जब वे अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन के सबसे प्रमुख चेहरा बने हुए थे।
डॉ. मार्टिन लूथर किंग किंग के बेटे मार्टिन लूथर किंग तृतीय और डॉ. बर्नीस किंग ने संयुक्त बयान में कहा, “हम समझते हैं कि इन दस्तावेजों में सार्वजनिक रुचि है, लेकिन हम लोगों से अपील करते हैं कि इन्हें पढ़ते समय संवेदनशीलता, संयम और हमारे परिवार की पीड़ा का सम्मान करें।” उन्होंने कहा कि इन दस्तावेजों को “पूरे ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य” में देखा जाना चाहिए। बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि उनके पिता की हत्या उनके परिवार के लिए आज भी एक गहरा और व्यक्तिगत आघात है। “यह हमारे लिए केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत त्रासदी है – हमारे पिता, पति और दादा का ऐसा नुकसान जिसे हमारी पीढ़ियों ने अब तक झेला है।”
डोनाल्ड ट्रंप ने 2016 के चुनाव अभियान के दौरान राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी की 1963 में हुई हत्या से जुड़े दस्तावेज़ों को सार्वजनिक करने का वादा किया था। अपने कार्यकाल की शुरुआत में उन्होंने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत जेएफके, रॉबर्ट एफ. केनेडी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्याओं से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया गया।
जेएफके की फाइलें मार्च में जारी की गई थीं, वहीं रॉबर्ट एफ. केनेडी से जुड़ी कुछ फाइलें अप्रैल में सामने आईं। अब मार्टिन लूथर किंग जूनियर से संबंधित यह अभूतपूर्व और संवेदनशील दस्तावेज़ों का संग्रह भी सार्वजनिक कर दिया गया है।
इन दस्तावेजों के सामने आने से नागरिक अधिकारों के इतिहास में एफबीआई की भूमिका, सरकारी जासूसी और काले नेताओं को निशाना बनाए जाने जैसे विषयों पर बहस एक बार फिर तेज़ हो गई है। हालांकि इससे ऐतिहासिक दृष्टिकोण से कुछ महत्वपूर्ण जानकारी सामने आएगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि किंग परिवार के लिए यह कदम पुरानी पीड़ा को फिर से कुरेदने जैसा है।
इस फैसले से अमेरिका में नस्लीय न्याय और सरकारी पारदर्शिता को लेकर चर्चाओं को नया मोड़ मिल सकता है, लेकिन यह भी ज़ाहिर होता है कि इतिहास को उजागर करना हमेशा आसान या स्वागतयोग्य नहीं होता – खासकर जब उसमें किसी परिवार की निजी पीड़ा शामिल हो।
यह भी पढ़ें:
चंदन मिश्रा हत्याकांड: पुलिस मुठभेड़ में दो शूटर घायल, एक अन्य आरोपी गिरफ्तार!
“रूसी तेल खरीदना बंद करो, वरना तुम्हारी अर्थव्यवस्था तबाह कर देंगे”
“केरल 2040 तक मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा!” वेल्लप्पल्ली नटेशन के बयान से भड़की सियासत
“मेरे पैरों को घूर रहें थे ट्रम्प”: 1995 घटना पर एपस्टीन पीड़िता का आरोप
भारतीय नौसेना को मिली नई ताक़त; कोलकाता में ‘INS अजय’ लॉन्च!



