प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक पूर्व अधिकारी ललित बजाड़ को रिश्वत लेने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए तीन साल की कैद और ₹5.5 लाख का जुर्माना सुनाया है। यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी कार्रवाई में एक अहम कदम माना जा रहा है।
ललित बजाड़ पर आरोप था कि उसने एक निजी शिकायतकर्ता से ₹5 लाख की रिश्वत की मांग की और वह रिश्वत स्वीकार करते हुए पकड़े गए। बजाड़ उस समय ईडी के बेंगलुरु निदेशालय में प्रवर्तन अधिकारी के पद पर कार्यरत था। शिकायत के अनुसार, उन्होंने पीड़ित को धमकाया कि यदि पैसे नहीं दिए गए तो उसे अनिश्चितकालीन कानूनी कार्रवाइयों में उलझा दिया जाएगा, जिससे उसके व्यवसाय और सामाजिक प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान होगा।
सीबीआई की जांच के बाद यह साबित हुआ कि बजाड़ ने न केवल रिश्वत की मांग की, बल्कि वह यह राशि स्वीकारते हुए रंगे हाथों पकड़े भी गए। अदालत में पेश किए गए सबूत और गवाहों के आधार पर सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें दोषी माना और तीन साल के कठोर कारावास के साथ ₹5.5 लाख का जुर्माना लगाया।
यह मामला भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों की जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है, क्योंकि बजाड़ स्वयं एक ऐसे संस्थान में कार्यरत थे जिसका उद्देश्य आर्थिक अपराधों की जांच और रोकथाम है। उनके इस कृत्य ने न सिर्फ विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि आम लोगों का भरोसा भी चोटिल किया।
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