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Wednesday, December 31, 2025
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पाकिस्तान: मूसलाधार बारिश का कहर, 140 बच्चों समेत 299 लोगों की मौत!

हजारों घर तबाह

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पाकिस्तान में जारी मानसूनी बारिश ने एक बार फिर भारी तबाही मचाई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 26 जून से अब तक 140 बच्चों समेत कम से कम 299 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 715 लोग घायल हुए हैं। मृतकों में बड़ी संख्या बच्चों की है, जो आपदा की भयावहता को दर्शाती है।

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, घायल हुए 715 लोगों में 239 बच्चे, 204 महिलाएं और 272 पुरुष शामिल हैं। लगातार हो रही भारी बारिश के कारण 1,676 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं और 428 पशुधन का नुकसान हुआ है। बाढ़ और बारिश से प्रभावित इलाकों में स्थानीय समुदायों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग (PMD) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि देश के ऊपरी और मध्य क्षेत्रों में भारी बारिश का सिलसिला आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा। विभाग के अनुसार,”कमजोर मानसूनी हवाएं फिलहाल सक्रिय हैं, लेकिन 4 अगस्त से इनके तेज होने और 5 अगस्त को एक पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की संभावना है।”

गुरुवार तक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वा, पंजाब और इस्लामाबाद में गरज के साथ भारी बारिश की भविष्यवाणी की गई है।

6 अगस्त को उत्तर-पूर्वी बलूचिस्तान के कई क्षेत्रों में तेज बारिश और तूफान का पूर्वानुमान है। विभाग ने चेताया है कि इससे निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है और आम जनता को आवश्यक सावधानी बरतने की अपील की गई है।मौसम विभाग ने कहा, “सभी संबंधित संस्थानों को सतर्क रहने और अग्रिम उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं।”

मौसम विभाग ने आगाह किया है कि चित्राल, दीर, स्वात, शांगला, मानसेहरा, कोहिस्तान, एबटाबाद, बुनेर, चारसद्दा, नौशेरा, स्वाबी, मर्दन, मुर्री, गलियात, रावलपिंडी, उत्तर-पूर्वी पंजाब और पीओके जैसे क्षेत्रों में स्थानीय नालों में अचानक बाढ़ आ सकती है। इस हफ्ते इस्लामाबाद, रावलपिंडी, गुजरांवाला, लाहौर और सियालकोट जैसे बड़े शहरों में शहरी बाढ़ की संभावना जताई गई है, जिससे जन-जीवन प्रभावित हो सकता है।

सरकारी एजेंसियों और आपदा प्रबंधन टीमें हालात पर नजर बनाए हुए हैं। प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य जारी हैं, हालांकि कई ग्रामीण क्षेत्रों में संवाद और पहुंच की समस्या के कारण राहत वितरण बाधित हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते मानसून की तीव्रता में वृद्धि हो रही है और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए यह भविष्य में और गंभीर संकट का संकेत है।

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