नई दिल्ली में आज (3 सितंबर) से दो दिन के लिए आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्र सरकार का ‘नेक्स्ट-जेन’ GST सुधार प्रस्ताव प्रमुख एजेंडे पर रहेगा। इस प्रस्ताव के तहत मौजूदा चार-स्तरीय कर संरचना को घटाकर केवल दो स्लैब 5% और 18% में समेटने की योजना है। इसका मतलब होगा कि 2017 में जीएसटी लागू करते समय शुरू किए गए 12% और 28% टैक्स स्लैब खत्म हो जाएंगे। ब्लूप्रिंट के अनुसार, वर्तमान में 12% पर टैक्स वाले 99% से ज्यादा सामान, जैसे घी, मेवे, 20 लीटर की पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर, नमकीन, दवाइयाँ और मेडिकल डिवाइस, अब 5% श्रेणी में आ सकते हैं। पेंसिल, साइकिल, छाता और हेयरपिन जैसे आम घरेलू सामान भी सस्ते हो सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर भी राहत मिल सकती है। फिलहाल 28% टैक्स वाले कुछ टीवी, वॉशिंग मशीन और फ्रिज को 18% श्रेणी में लाने का प्रस्ताव है। इससे उपभोक्ताओं के लिए ये उत्पाद किफायती हो जाएंगे।
जहाँ आम उपभोक्ता वस्तुओं पर टैक्स कम करने की योजना है, वहीं सरकार ने लग्ज़री और ‘सिन गुड्स’ के लिए 40% का नया स्लैब लाने का विचार किया है। उच्च-स्तरीय कारें, एसयूवी और प्रीमियम गाड़ियाँ, जो अभी 28% जीएसटी और मुआवजा उपकर (cess) के दायरे में हैं, अब इस नए स्लैब में आ सकती हैं। तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट जैसे उत्पाद भी इस श्रेणी में शामिल होंगे, जिन पर अतिरिक्त कर लगाने पर विचार चल रहा है।
इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने के लिए 5% जीएसटी दर बनाए रखने का सुझाव है, हालांकि प्रीमियम ईवी पर ज्यादा टैक्स लगाने को लेकर चर्चा जारी है ताकि आम और लग्ज़री श्रेणी में अंतर स्पष्ट रहे।
पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, तेलंगाना, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और झारखंड जैसे विपक्ष-शासित राज्यों ने इन कटौतियों पर राजस्व को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि राज्यों की आय पर बड़ा असर पड़ेगा, इसलिए स्पष्ट मुआवजा तंत्र जरूरी है। 2017 में जीएसटी लागू होने पर केंद्र ने पाँच साल तक राज्यों को राजस्व घाटे की भरपाई का वादा किया था, जो जून 2022 में खत्म हो चुका है। अब राज्य चाहते हैं कि 40% स्लैब पर अतिरिक्त टैक्स से उनकी आय सुनिश्चित की जाए।
यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन के बाद आया है, उन्होंने उपभोग बढ़ाने और जीएसटी ढाँचे को सरल बनाने के लिए बड़े टैक्स सुधारों का वादा किया था। मंत्रियों के समूह (GoM) ने पहले ही इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। अगर काउंसिल इस पर मुहर लगा देती है, तो जीएसटी ढाँचे में यह अब तक का सबसे बड़ा बदलाव होगाजहाँ एक ओर आम उपभोक्ताओं को सस्ते उत्पाद मिलेंगे, वहीं लग्ज़री गाड़ियों और ‘सिन गुड्स’ पर महंगाई बढ़ेगी।
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