मुंबई। सोने के आभूषण की शुद्धता के लिए सरकार द्वारा अनिवार्य हॉलमार्क के नियम पर रोक लगाने से बांबे होईकोर्ट ने इंकार कर दिया है। पुणे के सराफा एसोसिएशन ने इस मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। अदालत ने कहा कि उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए यह व्यवस्था जरुरी है। हालांकि कोर्ट ने सराफा व्यवसायियों की इस दलील पर कि अभी देश में बहुत कम हॉलमार्क सेंटर हैं, अदालत ने इस तरह के सेंटर बढ़ाए जाने को कहा है। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एस जे काथावाला व न्यायमूर्ति एसपी तावड़े ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार को हॉलमार्क की अनिवार्यता से जुड़े आदेश को लागू करने के लिए पर्याप्त हॉलमार्क केंद्र व इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इसलिए ज्वेलर्स को कड़ी कार्रवाई से राहत प्रदान की जाती हैं। किन्तु ज्वेलर्स यह कोशिश करें जहां हॉलमार्क केंद्र है। वहां से गहनों में हॉलमार्क लगवाएं।
अदालत में सराफा एसोसिएशन के वकील ने कहा कि फिलहाल देश के 741 जिलों में से सिर्फ 236 जिलों में ही हॉलमार्क सेंटर हैं। महाराष्ट्र के 36 में से 14 जिलों में हॉलमार्क सेंटर नहीं है। बुलढाणा, भंडारा व बीड़ में एक भी हॉलमार्क केंद्र नहीं है। जबकि इन इलाकों में तीन हजार से अधिक ज्वेलर्स हैं। ऐसे में हॉलमार्क केंद्र के अभाव को देखते हुए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्स (बीआईएस) की ओर से जारी किए गए ह़ॉलमार्क के आदेश पर रोक लगाई जाए। इसके जवाब में बीआईएस की ओर से पैरवी कर रहे वकील अर्श मिश्रा ने कहा कि हॉलमार्क की अनिवार्यता का आदेश आर्थिक सुधार से जुड़ा है। इसके अलावा उपभोक्ताओं को ज्वेलर्स की ठगी से बचाने के लिए केन्द्र सरकार के उपभोक्ता विभाग ने हॉलमार्क के विषय निर्णय लिया है।
हॉलमार्क से जुड़े नियम का पालन न करने पर एक साल तक कि सजा का प्रावधान है। इसके अलावा ज्वेलर्स को किसी भी जिले के हॉलमार्क केंद्र में जाकर हॉलमार्क हासिल करने की छूट हैं। उन्होंने कहा कि जैसे ही कोरोना नियंत्रण के बाद स्थिति सामान्य होगी वैसे ही हॉलमार्क सेंटरों की संख्या बढ़ाई जाएगी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने सोने के गहनों के लिए हॉलमार्क की अनिवार्यता के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। अभी हर जगह हॉलमार्क केंद्र नहीं है और कोरोना संकट के चलते यात्रा करनी भी मुश्किल है। इसलिए ज्वेलर्स को कड़ी कार्रवाई से राहत दी जाती हैं। खंडपीठ ने इस मामले में सरकार को हलफनामा दायर कर स्पष्ट करने को कहा है कि वह कब तक महाराष्ट्र के उन जिलों में हॉलमार्क केंद्र उपलब्ध कराएगा। जहां ऐसे केंद्र नहीं है। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई 29 जून 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है।