भारत अब 6G युग की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है, आने वाले दशक में देश न केवल इस तकनीक का उपभोक्ता बने, बल्कि इसे विकसित करने और दुनिया को दिशा देने वाला अग्रणी राष्ट्र भी बने। “विकसित भारत 2047” के रोडमैप में 6G विज़न को एक केंद्रीय स्तंभ के रूप में शामिल किया गया है, जो डिजिटल आत्मनिर्भरता, किफ़ायती पहुंच और नवाचार के साथ जुड़ा है।
6G मोबाइल नेटवर्क की अगली पीढ़ी की तकनीक है, जो 5G से लगभग 1,000 गुना तेज़ होगी। इसकी डेटा ट्रांसफर गति एक माइक्रोसेकंड में जानकारी भेजने की क्षमता रखेगी। यानी न बफ़रिंग, न देरी सब कुछ तुरंत। यह तकनीक चिकित्सा, स्वचालित वाहन, गेमिंग, वर्चुअल रियलिटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी। 6G नेटवर्क खुद “सोचने” की क्षमता रखेगा यानी डेटा कहाँ और कैसे संसाधित हो, यह खुद तय करेगा।
भारत सरकार ने मार्च 2023 में भारत 6G विज़न डॉक्युमेंट जारी किया था। इसका उद्देश्य है, 2030 तक भारत को 6G रिसर्च, डिज़ाइन और डिप्लॉयमेंट में वर्ल्ड लीडर बनाना। इसके तहत 100 से अधिक संस्थानों में अनुसंधान को फंड दिया गया है, समर्पित 6G टेस्टबेड बनाए जा रहे हैं, और नवाचार परियोजनाओं को मंज़ूरी दी जा रही है।
इस मिशन को दो चरणों में विभाजित किया गया है। पहले चरण में (2023–2025) अनुसंधान, आईपी निर्माण, और 6G के मानक तय करने की प्रारंभिक प्रक्रिया। इसमें प्रूफ-ऑफ़-कॉन्सेप्ट ट्रायल्स और टेस्टिंग प्लेटफ़ॉर्म शामिल हैं। दूसरे चरण में (2026–2030) वैश्विक स्तर पर मान्य 6G मॉडल्स, उपयोग मामलों और व्यावसायिक टेस्टबेड के साथ-साथ नीति, नैतिकता और जन-जागरूकता ढांचे का विकास।
सरकार ने भारत 6G एलायंस की स्थापना की है जो उद्योग विशेषज्ञों, टेलीकॉम कंपनियों, विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों को एक मंच पर लाता है। यह एलायंस अमेरिका के NextG Alliance, यूरोप के 6G IA और फ़िनलैंड के 6G Flagship Programme जैसे अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर वैश्विक मानक तय करने और सुरक्षित नेटवर्क विकसित करने पर काम कर रहा है।
इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 के दौरान आयोजित इंटरनेशनल 6G सिंपोज़ियम में भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति का प्रदर्शन हुआ। भारत के स्वदेशी 4G स्टैक को भविष्य की 6G नींव के रूप में प्रस्तुत किया गया। सरकार का अनुमान है कि दूरसंचार क्षेत्र 2035 तक देश के GDP में लगभग 1.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देगा और भारत वैश्विक 6G पेटेंट्स का कम से कम 10% अपने नाम करेगा। उपग्रह संचार बाज़ार भी 2033 तक तीन गुना बढ़ने की उम्मीद है, जिससे भारत अंतरिक्ष आधारित संचार प्रणालियों में भी अग्रणी बनेगा।
देशभर के विश्वविद्यालयों में स्थापित 5G लैब्स युवाओं को शोध और प्रयोग का अवसर दे रही हैं। टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड के तहत 2022 से अब तक 100 से अधिक प्रोजेक्ट्स को लगभग ₹310 करोड़ की मंज़ूरी दी गई है, जिनका उद्देश्य ग्रामीण कनेक्टिविटी और स्वदेशी समाधान विकसित करना है। IIT बेंगलुरु में स्थापित टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब रीकन्फिगरेबल इंटेलिजेंट सरफेसेज़ और O-RAN Massive MIMO जैसी नई तकनीकों पर काम कर रहा है, जो 5G-Advanced और 6G युग की रीढ़ साबित होंगी।
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