रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज शाम (4 दिसंबर) भारत पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सम्मान में अपने आधिकारिक आवास पर निजी डिनर का आयोजन करेंगे। अगले दिन दोनों नेता 23वें भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। पुतिन का यह 27 घंटे का दौरा व्यापार, रक्षा, आर्थिक सहयोग और भू-राजनीतिक मुद्दों पर गहन बातचीत का मंच बनेगा।
यह पुतिन का चार साल बाद भारत आगमन है और फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद उनकी पहली भारत यात्रा। ऐसे समय में यह दौरा हो रहा है जब अमेरिका भारत पर रूस से निकटता को लेकर बढ़ता दबाव बना रहा है।पुतिन गुरुवार(4 दिसंबर) शाम लगभग 6:30 बजे नई दिल्ली पहुंचेंगे। उनके साथ नौ रूसी कैबिनेट मंत्री और कई कारोबारी प्रतिनिधि भी आ रहे हैं, जो इस दौरे के व्यापक एजेंडा को दर्शाता है।
शाम में वे सीधे लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री मोदी के आवास पहुंचेंगे, जहां केवल प्रधानमंत्री, पुतिन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच “रिस्ट्रिक्टेड मीटिंग” होगी। इसके बाद पीएम मोदी द्वारा आयोजित निजी डिनर होगा, जो लगभग 8:30 बजे तक चलेगा। डिनर के बाद पुतिन अपने होटल लौट जाएंगे।
शुक्रवार सुबह 11 बजे पुतिन का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत होगा। इसके बाद वे राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे। इसके बाद हैदराबाद हाउस में 23वां भारत–रूस शिखर सम्मेलन इस यात्रा का मुख्य केंद्र होगा, जिसमें दोनों नेता संयुक्त बयान भी जारी करेंगे। पीएम मोदी पुतिन और उनके प्रतिनिधिमंडल के लिए वर्किंग लंच की मेजबानी करेंगे।
दोपहर में पुतिन भारत मंडपम में भारत–रूस बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे, जहां दोनों देशों के उद्योग जगत के बड़े निवेश और व्यापारिक सहयोग पर चर्चा होगी। वे रूस के सरकारी चैनल RT की भारतीय सेवा के लॉन्च कार्यक्रम में भी शामिल होंगे। शाम 7 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पुतिन के सम्मान में औपचारिक भोज देंगी। पुतिन रात करीब 9:30 बजे भारत से प्रस्थान करेंगे।
वार्ता का प्रमुख फोकस रक्षा, व्यापार और आर्थिक सहयोग रहेगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, अतिरिक्त S-400 एयर डिफेंस यूनिट्स खरीद की घोषणा संभव है। रूसी खाद आयात बढ़ाने और भारत में छोटे परमाणु संयंत्र स्थापित करने पर बातचीत होगी। RuPay–Mir पेमेंट सिस्टम को जोड़ने और रुपये–रूबल निपटान को सरल बनाने पर चर्चा होगी। रूस भारत को Su-57 स्टेल्थ फाइटर जेट की पेशकश कर सकता है। लेबर मोबिलिटी एग्रीमेंट से रूसी कंपनियां भारत से आसानी से कर्मियों को नियुक्त कर सकेंगी। दोनों देश 2030 तक की रणनीतिक आर्थिक सहयोग योजना पर हस्ताक्षर करेंगे।
यूएस प्रतिबंधों के बीच भारत–रूस व्यापार को सुरक्षित रखने के तंत्र, रूस से कच्चे तेल पर अमेरिका के ऊंचे टैरिफ और बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर भी भारत अपनी चिंताएं साझा करेगा। राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका के नए शांति प्रस्ताव की जानकारी भी मोदी को दे सकते हैं। यह दौरा दोनों देशों की 25 साल पुरानी रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है, और वैश्विक स्तर पर इसकी निगाहें टिकी हुई हैं।
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