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Saturday, December 27, 2025
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भारत में हो रहा सरप्लस बिजली का उत्पादन: वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल

ग्रिड एकीकरण और नवीकरणीय ऊर्जा में नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है भारत

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केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत का ऊर्जा क्षेत्र बीते 11 वर्षों में बिजली की कमी से निकलकर अधिशेष, सुरक्षित और सतत ऊर्जा की ओर बढ़ा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह परिवर्तन आकस्मिक नहीं, बल्कि स्पष्ट दृष्टि, काम करने की मंशा और निरंतर क्रियान्वयन का परिणाम है। एक ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे भारत ‘विकसित भारत @2047’ की ओर बढ़ रहा है, देश का ऊर्जा क्षेत्र पैमाने, गति और सातत्य तीनों को साथ साधने का वैश्विक उदाहरण बनेगा।

गोयल ने बताया कि वित्त वर्ष 2024–25 में भारत ने अब तक का सर्वाधिक कोयला उत्पादन दर्ज किया है, जो 1,048 मिलियन टन रहा, जबकि कोयला आयात में लगभग 8 प्रतिशत की गिरावट आई। उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा से आगे बढ़कर भारत अब ऊर्जा सततता के चरण में प्रवेश कर चुका है।

नवीकरणीय ऊर्जा पर विस्तार से चर्चा करते हुए मंत्री ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 46 गुना बढ़ी है, जिससे देश वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। पवन ऊर्जा क्षमता 2014 में 21 गीगावाट से बढ़कर 2025 में 53 गीगावाट हो गई है। इसके साथ ही भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा रिफाइनिंग हब बनकर उभरा है और रिफाइनिंग क्षमता को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने पर काम चल रहा है। प्राकृतिक गैस क्षेत्र में 34,238 किलोमीटर पाइपलाइन को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 25,923 किलोमीटर परिचालन में हैं।

गोयल ने बताया कि परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी भागीदारी के लिए SHANTI विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र का यह कायाकल्प पांच प्रमुख स्तंभों पर आधारित है। पहला स्तंभ सार्वभौमिक पहुंच है, सौभाग्य योजना के तहत हर घर तक बिजली पहुंचाई गई और उजाला कार्यक्रम के अंतर्गत 47.4 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए, जिससे बिजली बिलों में बचत और कार्बन उत्सर्जन में कमी आई।

दूसरा स्तंभ वहनीयता है। मंत्री ने बताया कि सौर, पवन और अन्य स्वच्छ ऊर्जा उपकरणों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया। एथेनॉल मिश्रण का 20 प्रतिशत लक्ष्य 2030 की समयसीमा से पहले हासिल कर लिया गया और सौर-पवन बिजली की बिक्री पर अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क माफ किया गया।

तीसरा स्तंभ उपलब्धता है। 2013 में 4.2 प्रतिशत रही बिजली की कमी 2025 में घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई है। एकीकृत राष्ट्रीय ग्रिड के निर्माण से 250 गीगावाट की रिकॉर्ड पीक मांग को पूरा किया जा सका। चौथा स्तंभ वित्तीय व्यवहार्यता है, पीएम-उदय योजना के तहत सुधारों से डिस्कॉम की स्थिति मजबूत हुई और 2022 में 1.4 लाख करोड़ रुपये के बकाये 2025 में घटकर 6,500 करोड़ रुपये रह गए।

पांचवां स्तंभ सततता और वैश्विक जिम्मेदारी है। गोयल ने कहा कि भारत पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने वाला पहला G20 देश बन चुका है और देश की स्थापित विद्युत क्षमता का 50 प्रतिशत अब गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आता है। उन्होंने कहा कि यह प्रगति भारत के ऊर्जा भविष्य को सुरक्षित, किफायती और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाती है।

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