मुंबई। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बम्बई उच्च न्यायालय के समक्ष मंगलवार को अपने पूर्व के बयान की अवधि बढ़ाते हुये कहा कि वह राज्य सरकार से मांगे गये दस्तावेजों के मामले में 11 जून तक कार्रवाई नहीं करेगा। ब्यूरो ने पुलिस में तैनाती और तबादले में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार के बारे में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला की शिकायतों से संबंधित दस्तावेज महाराष्ट्र सरकार से मांगे थे। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जमादर की एक खंडपीठ ने कहा कि वह महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर 10 जून को सुनवाई करेगी जिसमें राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई की प्राथमिकी से दो पैराग्राफ हटाने का अनुरोध किया गया है। न्यायालय उसी दिन प्राथमिकी के खिलाफ दाखिल देशमुख की याचिका पर भी सुनवाई करेगा।
सीबीआई ने 21 अप्रैल को देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार और सरकारी पद के दुरुपयोग के कथित आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज की थी। देशमुख ने पिछले महीने, प्राथमिकी को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी और इसे रद्द करने का अनुरोध किया था और यह याचिका 10 जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। बाद में, राज्य सरकार ने एक याचिका दायर कर सीबीआई को प्राथमिकी से दो पैराग्राफ अलग करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था, जो सरकार के अनुसार, देशमुख के खिलाफ मामले में प्रासंगिक नहीं है। अधिवक्ता जयश्री पाटिल ने मंगलवार को पीठ को बताया कि राज्य सरकार और देशमुख की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि ये दोनों याचिकाएं एक ही प्राथमिकी से संबंधित हैं। इसके बाद पीठ ने कहा कि वह देशमुख की याचिका के साथ ही सरकार की याचिका पर 10 जून को सुनवाई करेगी। सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि एजेंसी अपने पहले के बयान को ही दोहरा रही है कि वह 11 जून तक राज्य सरकार से जानकारी मांगने वाले पत्रों पर कार्रवाई नहीं करेगी।