मुंबई। पिछले दो वर्षों से महाराष्ट्र के सबसे बड़े धार्मिक-सांस्कृतिक त्यौहार आषाढी पालकी उत्सव पर कोरोना महामारी का साया पड़ रहा है। महामारी को देखते हुए राज्य सरकार ने कुछ शर्तों के साथ त्यौहार के लिए अनुमति दी है। राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बताया कि इस साल केवल 10 पालकियों को वारी के लिए बस से यात्रा करने की अनुमति दी गई है। ये 10 पालकियां 20 बसों से पंढरपुर पहुंचेंगी। हालांकि पंढरपुर का विठ्ठल मंदिर भक्तों और दर्शन के लिए बंद रहेगा। सभी नियमों का सख्ती से पालन करना जरूरी होगा और भाग लेने वाली सभी वारकरियों का मेडिकल टेस्ट आवश्यक होगा।
बंद रहेगा मुख्य मंदिर
अजित ने कहा कि देहू, आलंदी में पालकी प्रस्थान समारोह के लिए 100 वारकरियों को अनुमति दी गई है। बाकी बची 8 जगहों पर पालकी प्रस्थान समारोह के लिए 50 वारकरियों को अनुमति दी है। कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले साल की तरह इस बार भी मुख्य मंदिर बंद रहेगा। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि शासकीय महापूजा का कार्यक्रम पिछले साल की तरह सभी नियमों का पालन करते हुए किया जाएगा।
इन 10 पालकियों को अनुमति
संत निवृत्ती महाराज (त्र्यंबकेश्वर), संत ज्ञानेश्वर महाराज (आलंदी), संत सोपान काका महाराज (सासवड), संत मुक्ताबाई (मुक्ताईनगर),संत तुकाराम महाराज (देहू), संत नामदेव महाराज (पंढरपुर), संत एकनाथ महाराज (पैठण), रुक्मिणी माता (कौडानेपुर -अमरावती), संत निलोबाराय (पिंपलनेर – पारनेर अहमदनगर), संत चांगटेश्वर महाराज (सासवड)