मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को बांबे हाईकोर्ट को बताया कि उसने धूम्रपान और कोविड-19 के संभावित संबंध को लेकर सिगरेट, बीड़ी के उत्पादन और बिक्री के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया है और कहा कि वह उत्पादकों के खिलाफ नहीं है। प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए महाधिवक्ता आशुतोष कुंभाकोनी ने उच्च न्यायालय को बताया कि धूम्रपान और कोविड-19 संक्रमण की गंभीरता को लेकर उनके पिछले प्रतिवेदन के बाद, कई निर्माताओं ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर संबंध से इनकार किया है। कुंभाकोनी ने कहा, “उनमें से कुछ (निर्माताओं को) का सोचना है कि सरकार उनके खिलाफ है। कुछ बीड़ी निर्माताओं ने कल प्रदर्शन भी किया।” उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार किसी भी सिगरेट या बीड़ी निर्माता के खिलाफ नहीं है।
कुंभाकोनी ने 16 जून को केंद्र सरकार के टाटा मेमोरियल सेंटर के एक शोध पत्र का उल्लेख करते हुए दावा किया कि “धूम्रपान और कोविड की गंभीरता के बीच एक सकारात्मक सह-संबंध” होना संभव है। महाधिवक्ता ने उस समय कहा था कि टाटा मेमोरियल के विशेषज्ञों ने अधिकतर जिन अध्ययनों का संदर्भ दिया उनमें कहा गया है कि धूम्रपान करने वालों में संक्रमण का जोखिम ज्यादा होता है और सिगरेट पीने वाले व्यक्तियों के मामलों में बीमारी की गंभीरता ज्यादा थी। उन्होंने कहा कि केंद्र ने जिन रिपोर्टों का संदर्भ दिया उनमें से सिर्फ तीन ने इसके विपरीत राय दी। कुंभाकोनी अदालत के उस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या सिगरेट पीने वालों के कोरोनावायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है। उच्च न्यायालय ने पूर्व में राज्य सरकार को सुझाव दिया था कि वह सिगरेट और बीड़ी की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने पर विचार करे।
कुभाकोनी ने मंगलवार को कहा, “उन्हें (निर्माताओं को) अदालत द्वारा तंबाकू और बीड़ी की बिक्री रोकने का आदेश दिए जाने को लेकर चिंता सता रही है। इसलिये, मैं सिर्फ यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि राज्य सरकार फिलहाल इस पर विचार नहीं कर रही है।” उन्होंने पीठ को बताया कि तंबाकू निर्माताओं और विक्रेताओं की संस्था ने भी मामले में खुद को पक्ष बनाए जाने के लिये याचिका दायर की है। अदालत ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए मामले में अगली सुनवाई एक जुलाई को निर्धारित की है।