मुंबई। ट्रेजिडी किंग से मशहूर बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता 98 वर्षीय दिलीप कुमार का बुधवार को सुबह निधन हो गया। वह काफी समय से बीमार थे।दिलीप कुमार का हिंदुजा हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। उन्हें सांस लेने में परेशानी होने पर हाल ही में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दिलीप कुमार के ऑफिशल ट्विटर हैंडल पर उनके निधन की जानकारी दी गई है। उनके निधन की खबर से फिल्म इंडस्ट्री और फैंस उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। दिलीप कुमार यहां तक पहुंचने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था।
एएनआई कि रिपोर्ट के मुताबिक, उनका इलाज कर रहे पल्मोनॉजिस्ट डॉक्टर जलील पार्कर ने भी यह खबर दी। दिलीप कुमार हिंदुजा हॉस्पिटल में भर्ती थे। दिलीप कुमार की सेहत बिगड़ने के बाद उनकी पत्नी सायरा बानो सोशल मीडिया के जरिए लगातार अपडेट दे रही थीं। दिलीप कुमार को बीती 6 जून को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी। रिपोर्ट्स थीं कि उनके लंग्स में फ्लूइड इकट्ठा था जिसके ट्रीटमेंट के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था। इसके बाद 29 जून को कुछ दिक्कत महसूस होने पर उन्हें फिर से हॉस्पिटल में ऐडमिट करवाना पड़ा। उनके ट्विटर अकाउंट पर हेल्थ अपडेट दिया गया था जिसमें हालत में सुधार बताया गया था। वहीं सायरा बानो ने भी मीडिया से कहा था कि उन्हें जल्द घर ले जाएंगी।
With a heavy heart and profound grief, I announce the passing away of our beloved Dilip Saab, few minutes ago. We are from God and to Him we return. – Faisal Farooqui
— Dilip Kumar (@TheDilipKumar) July 7, 2021
यूं ही नहीं बने ट्रेजडी किंग: दिलीप कुमार यहां तक पहुंचने के लिए लंबा संघर्ष करना था। पेशावर (अब पाकिस्तान) में 11 दिसंबर, 1922 को जन्मे दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान है। उनका परिवार साल 1930 में मुंबई आकर बस गया। दिलीप कुमार के पिता फल बेचते थे।आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के कारण उनका बचपन मुश्किलों में गुजरा था। 1940 में पुणे में एक कैंटीन के मालिक ताज मोहम्मद की मदद से उन्होंने आर्मी क्लब में सैंडविच का स्टॉल लगाया। कैंटीन से हुई कमाई को लेकर दिलीप कुमार दोबारा मुंबई वापस आ गए।मुंबई आने के बाद साल 1943 में उन्होंने चर्चगेट में डॉ.मसानी से मुलाकात के बाद उन्हें बॉम्बे टॉकीज में काम मिल गया। इसके बाद उनकी मुलाकात बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी से हुई। इसके बाद तो दिलीप कुमार ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। दिलीप कुमार की पहली फिल्म ‘ज्वार भट्टा’ थी। साल 1949 में आई फिल्म ‘अंदाज’ से दिलीप साहब को पहचान मिली। इस फिल्म में दिलीप कुमार के साथ राज कपूर थे। इस फिल्म के बाद ‘दीदार’ (1951) और ‘देवदास’ (1955) जैसी फिल्मों में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने की वजह से उन्हें ट्रेजडी किंग कहा गया और दिलीप कुमार ने 6 दशक तक अपने शानदार अभिनय पर दर्शकों के दिलों पर राज किया।
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार : साल 1983 में फिल्म ‘शक्ति’, 1968 में ‘राम और श्याम’, 1965 में ‘लीडर’, 1961 की ‘कोहिनूर’, 1958 की ‘नया दौर’, 1954 की ‘दाग’ के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से नवाजा गया। दिलीप कुमार पर फिल्माया गया गाना ‘नैना जब लड़िहें तो भैया मन मा कसक होयबे करी’ आज भी लोगों को काफी पसंद है। दिलीप कुमार अपने से 22 साल छोटी अभिनेत्री सायरा बानो से 11 अक्टूबर 1966 को शादी की थी।