मुंबई। अमित शाह अब सहकारिता मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी संभालेंगे, मंत्रिमंडल विस्तार से 24 घंटे पहले इस नए मंत्रालय का सृजन हुआ, जब खबर आई तो लोगों में उत्सुकता थी कि यह मंत्रालय किस राज्य या नेता को मिलेगा, अंदाज यह था कि यह मंत्रालय महाराष्ट्र के खाते में आ सकता है। महाराष्ट्र के खाते में सहकारिता मंत्रालय आने की वजह इसलिए भी बनती थी क्योंकि महाराष्ट्र से ही सहकारिता की शुरुआत हुई, आज भी देश के को-ऑपरेटिव सेक्टर का सबसे ज्यादा प्रसार महाराष्ट्र में है, लेकिन जब नाम का ऐलान हुआ तो यह महत्वपूर्ण पदभार प्रधानमंत्री मोदी के सबसे विश्वसनीय व्यक्ति अमित शाह को दिया गया।
महाराष्ट्र और कर्नाटक में को-ऑपरेटिव सेक्टर का फैलाव बहुत ज्यादा है। सहकारिता की बुनियाद पर ही महाराष्ट्र कांग्रेस के कई नेता खड़े होते गए, बड़े होते गए, आज भी कांग्रेस के अनेक नेताओं की राजनीति सहकारिता के बल पर चलती है, इसमें कोई दो मत नहीं कि इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं, सिर्फ भ्रष्टातार के खिलाफ कार्रवाई के तहत ये सब हो रहा होता तो और बात थी. पर सवाल है कि भ्रष्टाचार की जड़ें तो और भी कई क्षेत्रों में गहरी हैं, लेकिन नज़र इधर ही क्यों? यानी मिशन साफ़ है,महाराष्ट्र में कांग्रेस को झटका देने की चल रही है तैयारी? सालों से सहकारिता के क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार ने महाराष्ट्र को दीमक की तरह चाटा है, वैसे अमित शाह के पास सहकारी क्षेत्र का बहुत तजुर्बा है, वे अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं, इस मंत्रालय को उनके अनुभव का लाभ जरूर मिलेगा, 2024 के चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं।