मुंबई। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई मुलाकात के बाद गरमाई राजनीति के बीच राकांपा ने सफाई दी है। राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने शनिवार को कहा कि राकांपा-भाजपा नदीं के दो किनारे हैं, इस लिए दोनों का एक साथ आना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों दलों की विचारधारा में जमीन आसमान का फर्क है। इस लिए राकांपा-भाजपा के एक साथ आने की तर्चा बेमानी है। इसके पहले पवार ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। राष्ट्र हित से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।’’ इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ट्वीट कर दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात की एक तस्वीर साझा की थी। ज्ञात हो कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को शरद पवार और पूर्व रक्षा मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता ए के एंटनी से मुलाकात की थी। इस बैठक में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे भी मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में पूर्वी लद्दाख में भारत की सीमा पर चीन के साथ जारी गतिरोध से जुड़े ताजा पहलुओं पर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार राजनाथ सिंह ने पवार और एंटनी को सीमा पर की ताजा स्थिति और भारत की सैन्य तैयारियों से अवगत कराया। पवार देश के रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने भी शुक्रवार को पवार से मुलाकात की थी। यह मुलाकातें इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि 19 जुलाई से संसद का मानसून सत्र आरंभ हो रहा है। शरद पवार की गिनती देश के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं में होती है। 80 वर्षीय पवार के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अच्छे संबंध भी हैं। पिछले दिनों उन्होंने कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी। उनकी इस कवायद को विपक्षी एकता मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा गया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे पवार ने राज्य की शिव सेना, राकांपा और कांग्रेस के गठबंधन वाली महा आघाड़ी सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भाजपा सरकार को समर्थन दे चुकी है राकांपा
राकांपा प्रवक्ता भले ही आज भाजपा व राकांपा को नदी के दो किनारे बता रहे हो पर इसके पहले भाजपा राकांपा के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बना चुकी है। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा-शिवसेना अलग-अलग हो गए थे। चुनाव बाद भाजपा को सरकार बनाने के लिए किसी अन्य दल के विधायकों के समर्थन की जरुरत थी। ऐसे में राकांपा ने भाजपा को बिना शर्त बाहर से समर्थन दिया था। हालांकि बाद में शिवसेना-भाजपा एक साथ आ गए थे और दोनों दलों ने मिलकर पांच साल तक सरकार चलाई थी। बाद में इस बारे में पवार ने कहा था कि भाजपा-शिवसेना की बीच दूरी बढ़ाने के लिए यह उनकी राजनीतिक चाल थी।
50 मिनट हुई बातचीत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए एनसीपी मुखिया शरद पवार शनिवार को उनके आवास पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच करीब 50 मिनट तक अहम मुद्दों पर बातचीत चली। बातचीत का विषय महाराष्ट्र से लेकर राष्ट्रीय मुद्दे रहे। सूत्रों ने बताया कि 19 जुलाई से संसद का मानसून सत्र चलने जा रहा है। विपक्ष चीन के साथ लद्दाख विवाद, कोरोना, महंगाई जैसे कई प्रमुख मुद्दों पर संसद में सरकार की घेराबंदी करने की तैयारी में जुटा है। बीते दिनों शरद पवार के घर पर हुई एक मीटिंग में विपक्ष के नेताओं को बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ एकजुट करने की कवायद हो चुकी है। सूत्रों का कहना है कि सत्र से पहले सरकार की ओर से विपक्ष के बड़े नेताओं से वार्ता कर सदन चलाने में सहयोग मांगने की परम्परा है। इसी कड़ी में इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच चर्चा की संभावना है। इससे पूर्व शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शरद पवार से मिलकर उन्हें लद्दाख विवाद पर अपडेट दे चुके हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि शरद पवार से महाराष्ट्र के वर्तमान राजनीतिक हालत पर भी प्रधानमंत्री की चर्चा हुई।