जयपुर। महाराणा प्रताप और अकबर के बीच लड़े गए ऐतिहासिक हल्दीघाटी युद्ध से संबंधित ऐसे शिलालेख जो गलत तथ्य दे रहे थे, उन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद रक्ततलाई से हटा दिया गया है। राजपूत समाज ने इस कदम की सराहना की है। राजपूत समाज करीब 40 साल से इन गलत तथ्य वाले शिलालेखों का विरोध जता रहा था। गलत शिलालेख हटाने के लिए उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल का आभार जताया।
उन्होंने कहा कि देश को ऐसे ही संस्कृति मंत्री की जरूरत है जो देश गौरवशाली इतिहास को बचा सके। मंत्रिमंडल में फेरबदल से कुछ दिन पहले राजसमंद सांसद दीया कुमारी और राजसमंद विधायक दीप्ती माहेश्वरी ने भी पूर्व केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के सामने ये मुद्दा रखा था और इस पर जल्द से जल्द संज्ञान लेने की मांग की थी।सांसद दीया कुमारी से मुलाकात के बाद प्रहलाद सिंह पटेल ने एएसआई को निर्देश दिए कि इन शिलालेखों को तुरंत हटा दिया जाए। उन्होंने कहा कि जो सही है वो सबके सामने आना चाहिए, इतिहास के साथ किसी तरह का खिलवाड़ नहीं होने दिया जा सकता।
आपको बता दें कि हल्दीघाटी के ऐतिहासिक युद्ध की जानकारी देने वाले शिलालेखों पर मेवाड़ी सेना को कमतर दिखाते हुए गलत तथ्य लिखे थे। इन पर लिखा था कि युद्ध में महाराणा प्रताप की सेनाएं पीछे हट गई थीं। राजसमंद जिले में स्थित रणभूमि रक्ततलाई में लगे ये शिलालेख दशकों से ना सिर्फ राजपूत समाज को बल्कि मेवाड़ी सेना के वीर शहीदों और उनके गौरवशाली बलिदान को भी ठेस पहुंचाते रहे हैं। अब हल्दीघाटी में आने वाले पर्यटक अकबर और महाराणा प्रताप की सेनाओं के बीच सोलहवीं शताब्दी में हुए भीषण संग्राम का सही इतिहास जान सकेंगे।