भगवान शिव को समर्पित सावन माह में चहुँ ओर शिव की भक्ति देखने को मिलती है। हम सभी जानते हैं कि शिवलिंग के ऊपर एक कलश रखा जाता है, जिसमें से निरंतर बूंद-बूंद पानी की बूंदे नीचे स्थापित शिवलिंग पर टपकती रहती हैं। शिवलिंग से निकली जल निकासी नलिका, जिसे जलाधारी कहा जाता है, उसे भी परिक्रमा के दौरान लांघा नहीं जाता है। इतना सब जान लेने के बाद अब आपके भी मन में ये सवाल तो पैदा होता ही होगा कि आखिर कि हर शिवलिंग के ऊपर रखे कलश से बूंद-बूंद पानी गिरने का रहस्य क्या है एवं परिक्रमा के दौरान आखिर जलाधारी को लांघा क्यों नहीं जाता?
दरअसल समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को पीने के बाद महादेव का गला नीला पड़ गया था और उनके शरीर में बहुत ज्यादा जलन हो रही थी। उनका मस्तक गर्म हो गया था। तब उनके सिर और माथे को ठंडक पहुंचाने के लिए उनके ऊपर जल चढ़ाया गया। ऐसा करने से भगवान महादेव के शरीर को थोड़ी ठंडक मिली। तभी से महादेव को जलाभिषेक अत्यंत प्रिय हो गया। इसीलिए महादेव के भक्त उनकी पूजा के दौरान जलाभिषेक जरूर करते हैं और यही कारण है कि शिव जी को ठंडक पहुंचाने के लिए शिवलिंग के ऊपर बूंद-बूंद टपकने वाला कलश रखा जाता है।
टपकती बूंदों का अगर वैज्ञानिक कारण जानें तो ये बहुत ही शक्तिशाली सृजन है। इसके अनुसार शिवलिंग एक न्यूक्लियर रिएक्टर के रूप में कार्य करता है। यदि आप भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठाकर देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि भारत सरकार के न्यूक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है। एक शिवलिंग एक न्यूक्लियर रिएक्टर की तरह रेडियो एक्टिव एनर्जी से भरा होता है। इस प्रलयकारी ऊर्जा को शांत रखने के लिए ही हर शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। वहीं कुछ मंदिरों में कलश में जल भरकर शिवलिंग के ऊपर इस तरह से रख दिया जाता है कि उसमें से निरंतर बूंद-बूंद पानी टपकता रहे।
पहला सावन सोमवार – 26 जुलाई 2021
दूसरा सावन सोमवार – 2 अगस्त 2021
तीसरा सावन सोमवार – 9 अगस्त 2021
चौथा सावन सोमवार-16 अगस्त 202