मुंबई। ज्वलनशील, विस्फोटक और खतरनाक पदार्थ लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ट्रांबे-कुर्ला वन-वे रेलवे लाइन परिसर झोपड़पट्टी इलाकों से घिरा हुआ होने के कारण मौत के मुहाने पर है। किसी भी समय आशंकित हादसे में इन झोपड़ों में रहने वाले करीब एक हजार की जान को खतरा है। स्थानीय निवासियों सहित पुलिस व फायर ब्रिगेड के इस संबंध में रेल प्रशासन से शिकायत किए जाने के बाद गंभीरतापूर्वक कदम उठाए जा रहे हैं।
कम करनी पड़ती है ट्रेन की रफ्तार: इस रेलवे लाइन का सर्वाधिक इस्तेमाल उपयोग कुर्ला (पूर्व) के नेहरूनगर परिसर के निवासियों द्वारा किया जाता है। उन्होंने रेल अधिकारियों के सामने यह मुद्दा उठाया है कि रेलवे लाइन के पास की झुग्गियां आसपास के समूचे क्षेत्र के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। इन रहवासियों के ‘ जागो नेहरूनगर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ‘ ने रेल प्रशासन को इस बाबत पत्र भी लिखा है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि क्षेत्र में झुग्गियों की संख्या बढ़ रही है और कुछ लोगों ने तो सारे नियम-कानून को ताक पर रख क्षेत्र के अन्य निवासियों की सुरक्षा पर विचार किए बिना घर में कुछ और मंजिलें जोड़ दी हैं, जो बेहद खतरनाक है।
पत्र में यह भी कहा गया है कि इन झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग बैठने व बच्चे खेलने के लिए रेल पटरी का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र से लोगों की भीड़ लगातार ट्रैक क्रॉसिंग भी करती रहती है, जिससे यहां से गुजरने वाली मालगाड़ी की गति को सतर्कता के लिहाज से 10 किलोमीटर प्रति घंटे तक कम करना पड़ता है।
1000 से ज्यादा लोगों की जान का जोखिम: 2013 में नेहरूनगर पुलिस और मुंबई फायर ब्रिगेड ने भी इस बारे में रेल प्रशासन से शिकायत की थी। एसोसिएशन के सचिव मिलिंद बने का कहना है कि बढ़ती झुग्गियों की संख्या क्षेत्र में बड़ी दुर्घटना का सबब बन सकती है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिजीत कुलकर्णी ने आशंका जताई है कि इस झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र में शॉर्ट सर्किट से आग लगने, गैस सिलेंडर फटने अथवा खतरनाक-ज्वलनशील पदार्थों को लेकर गुजरती ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में यहाँ के करीब एक हजार लोगों की जान पर बन आने का खतरा है। मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुतार ने इस मसले पर कहा है कि पूरे मामले की जानकारी मिलने के बाद उचित कदम उठाया जाएगा।