मुंबई। विधान परिषद की राज्यपाल कोटे वाली 12 सीटों पर नजर गड़ाए सत्तापक्ष को हाईकोर्ट से भी निराशा हाथ लगी है। इसको लेकर बांबे हाईकोर्ट में दायर याचिका पर अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए राज्यपाल को निर्देश देने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि राज्यपाल अंतहिन समय तक विधान परिषद की 12 सीटों पर नियुक्ति को लेकर राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश को अटका नहीं सकते। कोर्ट राज्यपाल को निर्देश नहीं दे सकता। इस लिए हम राज्यभवन सचिवालय से अपेक्षा करते हैं कि वे इस बारे में उचित कदम उठाएंगे।
विधान परिषद की राज्यपाल कोटे वाली 12 सीटों पर नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर राज्यपाल को निर्णय लेने का निर्देश देने से जुड़ी याचिका पर बांबे हाईकोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने 19 जुलाई 2021 को मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस बारे में नाशिक निवासी रतन शोली लूथ ने याचिका दायर की है।
संविधान की मंशा का नहीं होता पालन
याचिका के मुताबिक संविधान ने राज्यपाल को मंत्रिमंडल की सिफारिश व सलाह के शिक्षा, कला, साहित्या, विज्ञान व समाज सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करनेवाले 12 लोगों को विधानपरिषद में मनोनीत करने का अधिकार दिया है। लेकिन सरकारे संविधान के नियम को धता बताते हुए अपने राजनीतिक नेताओं को इन सीटों पर नियुक्त कर देते हैं। इसके पहले विधान परिषद की इन 12 सीटों पर साहित्यकार, पत्रकार, समाजसेवक की बजाय विभिन्न दलों के नेता, पूर्व मंत्रियों को ही नियुक्त किया जाता रहा है। इस बार भी राज्य की तीन दलों वाली सरकारों ने जिन लोगों के नाम भेजे हैं वे इन तीनों दलों के जाने पहचाने नेता हैं। इनमें प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत व पूर्व विधान परिषद सदस्य़ मुजफ्फर हुसैन का नाम भी शामिल है।