मुंबई। देश के 75 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ध्वजारोहण के बाद फिर वही कोरोना का पुराना राग आलापा। कम-से-कम इस राष्ट्रीय पर्व पर नागरिकों को मुख्यमंत्री से महाराष्ट्र की प्रगति, राज्य का नजरिया, भविष्य की योजनाओं, प्रदेश के बारे में सरकार की सोच आदि महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानने की उम्मीद थी। साथ ही,यह आस भी लगी थी कि संभवतः कोरोनाकाल में राहत के तौर पर कुछ ऐलान किया जाएगा, पर मुख्यमंत्री ने बजाय इसके अपने संबोधन के केंद्र में कोरोना व लॉकडाउन के मुद्दे रख लोगों की फिर पाबंदी लगाने का डर बताया।
जनता की अपेक्षा भंग
मुख्यमंत्री ठाकरे से हालांकि राज्य की जनता को देश की मौजूदा स्थिति तो नहीं, पर महाराष्ट्र राज्य के बारे में जरूर जानने की अपेक्षा थी, लेकिन सीएम ने उसे पूरी तरह भंग करते हुए इस मौके पर कहा कि अगर लोगों में कोरोना का खौफ नहीं बढ़ा, तो सरकार को फिर से लॉकडाउन करना होगा। इसे लोगों द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अमृत महोत्सव पर पुनः जनता के पैरों में बेड़ियां डालने की चेतावनी के तौर पर लिया जा रहा है।
नहीं छुआ जनविकास का कोई मुद्दा
मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि कोरोना की पाबंदियों में ढील दी गई है, लेकिन अगर लोगों ने नियमों का पालन नहीं किया, तो फिर से पाबंदियां लगानी पड़ेंगी। स्वतंत्रता दिवस पर दिए उनके भाषण में न तो कहीं कोई आजादी सबंधी विशेषता दिखी और न ही उन्होंने जनविकास के किसी अहम मुद्दे को स्पर्श किया। उन्होंने राष्ट्रपति पदक विजेता पुलिसकर्मियों की इस अवसर प्रशंसा अवश्य की।
थपथपाई अपनी पीठ
कमोबेश पूरे भाषण में उनके पास कोरोना के अलावा अन्य कोई विषय नहीं था। उन्होंने यह बता कर अपनी पीठ थपथपाई कि कल राज्य भर में एक ही दिन में साढ़े 9 लाख लोगों का टीकाकरण कर नया कीर्तिमान रचा गया। उनकी इस स्वीकारोक्ति से इस रहस्य से खुद उन्हीं ने पर्दा उठा दिया है कि एक तरफ जहां राज्य में सत्ताधारी दल के नेता आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र से टीका उपलब्ध नहीं है, वहीं दूसरी तरह इस तूफानी टीकाकरण ने बता दिया कि राज्य को पर्याप्त मात्रा में केंद्र से टीका उपलब्ध है और उसी आधार पर यह टीकाकरण अभियान सभव हो पा रहा है।