30 C
Mumbai
Sunday, November 10, 2024
होमन्यूज़ अपडेटCBI ऐसे खोलेगी तबादलों में भ्रष्टाचार की पोल,कोर्ट के दबाव में कागजात...

CBI ऐसे खोलेगी तबादलों में भ्रष्टाचार की पोल,कोर्ट के दबाव में कागजात देने को तैयार हुई ठाकरे सरकार

Google News Follow

Related

मुंबई। आखिरकार सीबीआई के हाईकोर्ट की शरण लेने के बाद ठाकरे सरकार पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख मामले की जांच कर रही सीबीआई को दस्तावेज सौपने को तैयार हो गई है। गुरुवार को सरकारी वकील ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। इन दस्तावेजों में खुफिया विभाग की तत्कालिन प्रमुख रश्मि शुक्ला द्वारा तबादलों में भ्रष्टाचार को लेकर तैयार रिपोर्ट शामिल है। अब तक राज्य सरकार यह कहते हुए यह रिपोर्ट देने से इंकार कर रही थी कि इसका अनिल देसमुख की जांच से कोई संबंध नहीं है।

राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रफिक दादा ने न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ के सामने कहा कि 31 अगस्त तक सीबीआई को दस्तावेज उपलब्ध करा दिए जाएंगे। खंडपीठ के सामने सीबीआई की ओर से दायर किए गए आवेदन पर सुनवाई चल रही है। जिसमें सीबीआई ने दावा किया है कि राज्य सरकार इस मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रही है। और राज्य सरकार ने जांच के लिए जरुरी दस्तावेज भी देने से इंकार कर दिया है। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि सीबीआई ने सरकार से वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला द्वारा पुलिस महकमें में तबादले व तैनाती में होनेवाले भ्रष्टचार को लेकर पुलिस महानिदेशक को भेजी गई रिपोर्ट और पंचनामे से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता रफीक दादा ने कहा कि पंचनामा रिपोर्ट सीबीआई को नहीं दी जा सकती है। क्योंकि यह इस मुद्दे को लेकर साइबर पुलिस द्वारा शुरु की गई जांच का हिस्सा है।

इस दलील पर श्री सिंह ने कहा कि पंचनामे से सिर्फ आईपीएस अधिकारी शुक्ला की ओर से दिए गए दस्तावेजों को सौपने के घटनाक्रम की जानकारी मिलती है और कुछ नहीं। इससे पता चलता है कि कैसे दस्तावेज एक विभाग से दूसरे विभाग तक पहुंचते है।  किंतु वरिष्ठ अधिवक्ता दादा ने इसका विरोध किया। और कहा कि पंचनामे का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता देशमुख की जांच से कोई संबंध नहीं है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि ऐसे मामले कोर्ट में नहीं आने चाहिए। कई बार राज्य सरकार व सीबीआई ने दस्तावेज साझा किए है। खासतौर से इंटर स्टेट से जुड़े मामले में जहां अपराध कई राज्यों में घटित होते है। स्वतंत्रता के बाद से इस विषय पर महाराष्ट्र सरकार की प्रतिष्ठा अन्य राज्यों से एक कदम आगे रही है। जिसे हमे कायम रखना है। खंडपीठ ने फिलहाल राज्य सरकार की ओर से आईपीएस अधिकारी शुक्ला रिपोर्ट सीबीआई के साथ साझा करने के आश्वासन को रिकार्ड में ले लिया है और मामले की सुनवाई 2 सितंबर 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है।

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,321फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
189,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें