मुंबई। कोरोना के ऐनाकोंडा ने सबको डंसा है। जहर थोड़ा कम होने के बाद फिर सांस में सांस आई है। जिंदगी फिर पटरी पर लौटने की ओर है। कोरोना की वजह से लगी पाबंदी के चलते बीते 2 साल में राज्य में में घोषित आदर्श शिक्षकों को पुरस्कार से नवाजा जाना बाकी है। शिक्षा क्षेत्र में व्यवधान के बावजूद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कोरोनाकाल में भी शिक्षक पुरस्कार की प्रक्रिया पूरी कर पुरस्कार की घोषणा की, पर ऐसा लगता है कि राज्य का शिक्षा विभाग इस बाबत पूरी तरह उदासीन है और इसीलिए,ये पुरस्कार 2 साल से लंबित हैं। लोगों में चर्चा है कि यह ठाकरे सरकार द्वारा इन आदर्श शिक्षकों का अपमान नहीं तो क्या है ?
2 साल से लंबित है प्रक्रिया: इन पुरस्कारों के लिए शिक्षकों के नाम के प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं। उसके बाद इन प्रस्तावों की जांच होती है, साक्षात्कार किए जाते हैं और फिर पुरस्कार के लिए शिक्षकों के नाम की घोषणा की जाती है। शिक्षक दिवस पर विजेता शिक्षकों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है। हालांकि, राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा कोरोनाकाल में इस प्रक्रिया को लागू नहीं करने के कारण बीते और इस वर्ष की प्रक्रियाएँ लंबित हैं।
केंद्र ने पूरी की प्रक्रिया, राज्य ही उदासीन: केंद्रीय शिक्षा विभाग ने प्रक्रिया में बदलाव करके और पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर शिक्षकों के लिए इन पुरस्कारों की घोषणा की। लेकिन सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि राज्य के शिक्षा विभाग ने ऐसा क्यों नहीं किया, कोरोनाकाल में भी अथक परिश्रम करने वाले इन शिक्षकों को पुरस्कारों से क्यों वंचित किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित विक्रम अडसूल ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि कुछ जिला परिषदों ने इस पुरस्कार प्रक्रिया को लागू किया है।
शिक्षा विभाग को कोई निर्देश नहीं: वरिष्ठ शिक्षाविद वसंत कालपांडे का कहना है कि राज्य का शिक्षा विभाग भी शिक्षक पुरस्कारों को ऑनलाइन कार्यान्वित करने में सक्षम था। क्या राज्य के शिक्षा विभाग की उदासीनता ही इस प्रक्रिया को दो साल से लागू नहीं करने का कारण है। प्राथमिक-माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा निदेशक दत्तात्रय जगताप ने इस संबंध में कहा है कि राज्य में शिक्षक पुरस्कार प्रक्रिया के क्रियान्वयन के संबंध में अभी तक शिक्षा विभाग की ओर से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है।