मुंबई। मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने शुक्रवार से शुरू हो रहे गणेश उत्सव के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत सार्वजनिक पंडालों में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा समारोह के दौरान जुलूस में भाग लेने वालों की संख्या को भी सीमित कर दिया गया है।
10 से अधिक लोग नहीं: बीएमसी ने मंगलवार को यह नये दिशा-निर्देश जारी किए, जिसके मुताबिक सार्वजनिक पंडालों में मूर्ति लाने और विसर्जन के लिए ले जाते समय 10 से अधिक लोग मौजूद नहीं होंगे। घर में मूर्ति लाने और विसर्जन के लिए ले जाते समय अधिकतम पांच लोग ही मौजूद रहेंगे। नये दिशा-निर्देशों के मुताबिक सभी श्रद्धालुओं को अनिवार्य रूप से मास्क पहनना होगा और शारीरिक दूरी का पालन करना होगा। इसके अलावा उत्सव के दौरान जुलूस में भाग लेने वालों को अनिवार्य रूप से कोविड-19 रोधी टीके की दोनों खुराक लेनी होगी और दूसरी खुराक लिए हुए 15 दिन से अधिक समय होना चाहिए।
त्योहार सादगी से मनाने की अपील : कोरोना वायरस संक्रमण के नये मामलों में वृद्धि और महामारी की तीसरी लहर के खतरे के मद्देनजर, बीएमसी ने सार्वजनिक गणपति पंडालों में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है और नागरिकों से त्योहार सादगी से मनाने की अपील भी की है। बीएमसी ने कहा, ‘‘ कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर के संभावित खतरे को देखते हुए, श्रद्धालुओं को सार्वजनिक पंडालों में दर्शन करने से मना किया गया है। यह निर्णय लिया गया है कि गणेशोत्सव मंडल श्रद्धालुओं को केबल नेटवर्क, वेबसाइट, फेसबुक या (अन्य) सोशल मीडिया के माध्यम से दर्शन की सुविधा प्रदान करें।’’ कोविड-19 निरूद्ध क्षेत्रों में आने वाले मंडलों को पंडाल परिसर में ही भगवान गणपति की प्रतिमाओं के विसर्जन की व्यवस्था करनी होगी या इसे स्थगित करना होगा।
प्रतिमा विसर्जन की व्यवस्था घर में ही: इसी तरह सीलबंद भवनों में श्रद्धालुओं को प्रतिमा विसर्जन की व्यवस्था घर में ही करनी होगी। बीएमसी ने घर में स्थापित किए जाने वाले गणपति की मूर्तियों की ऊंचाई दो फुट जबकि सार्वजनिक मंडलों के लिए चार फुट तक सीमित कर दी है। बीएमसी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, महामारी रोग अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।