ठाणे। मुंबई के साकीनाका में हुए बर्बरतापूर्ण रेप कांड को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा उसे जौनपुर पैटर्न कहे जाने को लेकर मुंबई, ठाणे, कल्याण, भिवंडी, डोंबिवली, नवी मुंबई सहित आसपास के परिसरों में रहने वाले मूल उत्तर भारतीयों समेत जनप्रतिनिधियों में शिवसेना और राज्य सरकार के प्रति जबरदस्त आक्रोश की लहर है।
सीएम का बयान अशोभनीय
ठाणे शहर के भाजपा विधायक संजय केलकर का इस मुद्दे पर स्पष्ट कहना है कि कोई भी किसी भी भाषा,जाति, धर्म और प्रदेश विशेष से किसी आपराधिक प्रवृत्ति का क्या लेना-देना, यह तो किसी भी सिरफिरे में हो सकती है, मुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदाराना पद पर बैठे व्यक्ति को यह सब कहना कतई शोभा नहीं देता। यह उनका आगामी चुनाव को लेकर स्थानीयों के वोट बैंक को एकजुट करने का फंडा दिख रहा है, जो उन्हीं के कारनामों से बिखर चुका है।
फिजूल का जो राजनीतिक रंग
सुप्रसिद्ध वूमंस राइट्स एक्टिविस्ट एवं अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन की राष्ट्रीय सचिव सुमन आर अग्रवाल कहती हैं कि साकीनाका रेप केस की बर्बरता को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले इस जघन्य मामले के दोषियों को कड़े से कड़ा दंड मिलना आवश्यक है, ताकि फिर कोई ऐसी जुर्रत न करे। लेकिन यह सब छोड़ इस मामले को फिजूल का जो राजनीतिक रंग दिया जा रहा है, वह सरासर गलत है। क्रिमिनल का कोई जाति,धर्म, प्रदेश, भाषा तय नहीं हुआ करती कि फलां जगह का फलां व्यक्ति ही क्रिमिनल है, इसलिए इन फालतू की बातों में उलझना अपने वक्त और कर्तव्य के प्रति बेईमानी है, उल्टे इससे परप्रांतीयों के प्रति स्थानीयों का वैमनस्य बढ़ेगा और गुटीय टकराव पैदा होगा।
जौनपुर से निकले हैं कई बुद्धिजीवी
वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पार्टी के ठाणे अध्यक्ष रह चुके मनोज शिंदे कहते हैं कि सबसे पहले तो मैं भारतीय हूँ और मुझे गर्व है अपने भारतीय होने पर, जहां विविध जाति-धर्म,-भाषा-प्रदेश-संस्कृति के लोग बसते हैं। अनेकता में एकता के जीवंत उदाहरण इस देश में साकीनाका जैसी बर्बरतापूर्ण घटना की कड़ी निंदा करते हुए उन्होंने इसके अभियुक्त को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि जौनपुर के माथे पर यह कोई दाग नहीं लगा है कि उसके बारे में चाहे कोई कुछ भी कह दे। जौनपुर से कई आईएएस-आईपीएस-एडवोकेट-शिक्षाविद सहित अनेक बुद्धिजीवी निकले हैं और देश-विदेश में अपनी सेवाएं देकर मानवता व समाज के अभिन्न अंग बने हुए हैं।
द्वेष की राजनीति खेलना अनुचित
ठाणे के उत्तरभारतीय व परप्रांतीय बहुल क्षेत्र नलपाड़ा के नगरसेवक रहे वरिष्ठ भाजपा नेता शेरबहादुर सिंह ने कहा है कि किसी व्यक्ति विशेष पर तो लिखा नहीं होता कि वह अपराधी है और किसी वारदात को अंजाम देगा। इस तरह के मामलों को किसी जाति-धर्म-प्रदेश-भाषा आदि से जोड़कर देखने की प्रवृत्ति किसी मानसिक दिवालिएपन से कम नहीं। साकीनाका में जो जघन्य कांड हुआ, राज्य भर में जिस तरह से अराजकता बढ़ रही है, वह बिलकुल सहनीय नहीं हैं, अपराधियों को कठोर से कठोर दंड मिलना ही चाहिए। लेकिन इसकी आड़ में लोगों में द्वेष की राजनीति खेलना ठीक नहीं है।
इसमें जौनपुर पैटर्न कहाँ से घुस गया ?
भाजपा के वरिष्ठ उत्तर भारतीय नेता के.पी.मिश्रा कहते हैं कि अपराधी तो अपराधी है, अब भई कहाँ से इसमें जौनपुर पैटर्न कहाँ से घुस गया ? क्रिमिनल्स का किसी क्षेत्र, भाषा, जाति, धर्म आदि से आखिर क्या वास्ता है ? मुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदाराना पद पर बैठा व्यक्ति अगर ऐसी ओछी बात करता है और एक साथ हिल-मिलकर रह रहे समाज में इस तरीके से विघटन पैदा करने की कोशिश करता है, तो यह बेहद निंदनीय है।
कैसे दिया सर्टिफिकेट ?
तेजतर्रार युवा उत्तरभारतीय नेता श्रीकांत दुबे ने इस विषय को संगीन बताते हुए महज राजनीतिक स्वार्थ के लिए परप्रांतीयों और स्थानीयों में परस्पर टकराहट उभारने की साजिश बताया है। उनका कहना है कि केवल मुख्यमंत्री ही नहीं, किसी भी जिम्मेदार ओहदे पर बैठे व्यक्ति को इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए कि सामाजिक माहौल गड़बड़ा जाए। साकीनाका सहित राज्य भर में जो इस प्रकार की घटनाएं हुई हैं, उनके आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, ताकि अपराधीकरण पर काबू लग सके, लेकिन समूचे समाज या किसी प्रदेश विशेष के जिले को इस तरह का सर्टिफिकेट देने की चौधराहट करने की कोई आवश्यकता नहीं है, यह सर्वथा अनुचित है।
मराठी वोट बैंक की राजनीति
विशेष कार्यकारी अधिकारी एवं समाजसेवी कमलाप्रसाद यादव (पोलन) ने राज्य में फैली अराजकता व साकीनाका जैसे जघन्य कांड के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए खुद मुख्यमंत्री को इसका दोषी बताया है, क्योकि समूचे राज्य में कानून व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। उन्होंने कहा है कि अब सीएम अपनी कमजोरी छिपाने और आगामी चुनावों में अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए मराठी वोट बैंक की राजनीति खेल रहे हैं। उनका कहना है कि उद्धव ठाकरे खूब राजनीति करें, इससे कोई गुरेज नहीं, पर बेवजह किसी के माथे ठीकरा फोड़ उसे शिकार बनाना उचित नहीं है। रेप कांड को जौनपुर पैटर्न कह सभी जौनपुरवासियों, उत्तर भारतीयों, परप्रांतीयों को अपमानित करने का अधिकार आखिर उन्हें किसने दिया है ?