मुंबई। महाराष्ट्र के चुनिंदा क्षेत्रों में उद्योगों लगाने के लिए दी जाने वाली बिजली सब्सिडी गुपचुप तरीके से बहाल किये जाने पर राज्य के वित्त विभाग ने नाराजगी व्यक्त की है। विभाग का कहना है कि, बकाया बिजली बिलों की राशि 70,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है उसे वसूलने की बजाय ऊर्जा विभाग सब्सिडी बांट रहा है। ऊर्जा मंत्री नितिन राउत का कहना है कि, सब्सिडी रोकी थी अब फिर से जारी किया है। सात सदस्यीय समिति की रिपोर्ट आने के बाद गलतियों में सुधार करेंगे। इधर, इस पूरे मामले की शिकायत करने वाले उद्योगपतियों का कहना है कि यह तो सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का मामला है। जो सब्सिडी का लाभ ले रहे थे उन्हें फिर से सरकार सब्सिडी दे रही है, जबकि गलत तरीके से सब्सिडी लेने वाले उद्योगपतियों से सरकार को वसूल करना चाहिए था।
समिति की रिपोर्ट से पहले ही सब्सिडी बहाल: बिजली सब्सिडी की लूटपाट रोकने के लिए ऊर्जा विभाग ने सात सदस्यीय समिति का गठन किया था, ताकि सब्सिडी का लाभ सभी उद्योगपतियों को दिया जा सके। समिति की बैठक हुई, उसकी रिपोर्ट आ गई है जिसकी समीक्षा की गई है, लेकिन वह रिपोर्ट अब तक ऊर्जा मंत्री नितिन राउत के पास नहीं आई है। राउत कहते हैं कि, कई सारे कारणों के चलते सब्सिडी रोकी थी जिसे फिर से बहाल किया है। एक महीने की सब्सिडी दी है। रिपोर्ट पर पूर्ण अध्ययन के बाद जो गलती है उसमें सुधार करेंगे।
भ्रष्टाचार की बू आ रही: सब्सिडी की लूटपाट उजागर करने वाले शिकायतकर्ता अडो. विनोद सिंह कहते हैं कि, ऊर्जा मंत्री ही अपने ही आदेश से पलट गए हैं। इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। रिपोर्ट की संपूर्ण समीक्षा के बिना सब्सिडी कैसे बहाल की जा सकती है ? उल्टे हमने तो पत्र दिया था कि जिन लोगों को गलत तरह से सब्सिडी दी गई है उनसे रकम वापस ली जाए, यहां तो ऊर्जा मंत्री उन्हीं लोगों को सब्सिडी देने के लिए सरकारी तिजोरी खोल दी है। अभी तो हमने इसकी शिकायत सरकार में की है। कोई जवाब नहीं आया तो यह मामला वे कोर्ट में लेकर जाएंगे।