राज्य सरकार के आश्वासन के बावजूद राज्य परिवहन महामंडल (एसटी) के सभी कर्मचारी काम पर लौटने को तैयार नहीं। आर्थिक तंगी के चलते अब तक दो दर्जन से अधिक एसटी कर्मचारी आत्हत्या कर चुके हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एसटी) ने सोमवार को कहा कि इस उपक्रम के राज्य सरकार में विलय की मांग को लेकर कर्मचारियों के प्रदर्शन के कारण उसके 250 बस डिपो में से 38 बंद हैं। अधिकारियों के अनुसार सबसे अधिक 47 में से 15 डिपो औरंगाबाद क्षेत्र में बंद हैं। इसके बाद नागपुर में 26 डिपो में से 12 बंद हैं। उन्होंने बताया कि पुणे में पांच, नासिक में तीन, अमरावती में दो और मुंबई में एक डिपो में अभी हड़ताल की वजह से काम-काज ठप्प है।
एमएसआरटीसी के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शेखर चन्ने ने बताया कि अधिक से अधिक डिपो में बस का परिचालन करने की कोशिशें जारी हैं ताकि लोगों को त्योहारी मौसम में असुविधा का सामना न करना पड़े। एसटी अधिकारियों ने बताया कि निगम ने कर्मचारियों को नोटिस जारी नहीं किया है जबकि एक औद्योगिक अदालत ने उनके आंदोलन को अवैध घोषित किया है। उनका आंदोलन 28 अक्टूबर से जारी है। एसटी महामंडल में 93,000 कर्मचारी हैं और इसके पास 16,000 बसे हैं जिससे रोजाना 65 लाख यात्री सफर करते हैं लेकिन कोविड-19 महामारी की वजह से लागू प्रतिबंधों और डीजल की कीमतों में वृद्धि की वजह से इसकी वित्तीय परेशानियां बढ़ गई हैं। आंदोलन कर रहे कर्मियों की मांग है कि एमएसआरटीसी का विलय राज्य सरकार के साथ किया जाए।