नई दिल्ली। muhammad sharif को सोमवार को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। राष्ट्रपति भवन में उनको राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित किया। 5 हजार से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके समाजसेवी मुहम्मद शरीफ वह शख्स हैं जो अपने बेटे का अंतिम संस्कार नहीं कर सके थे। इससे आहत होकर ये तय किया कि अब कोई हिन्दू हो या मुसलमान किसी की भी लाश लावारिस नहीं रहेगी। सबका अंतिम संस्कार वो करेंगे। उसके बाद से वो 3 हजार हिन्दू और 2 हजार से ज्यादा मुस्लिम लोगों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं।
अयोध्या के रहने वाले मुहम्मद शरीफ को सोमवार को पद्म श्री से सम्मानित किया गया। मुहम्मद शरीफ ने बातचीत करते हुए बताया कि 25 साल पहले सुल्तानपुर में उनके बेटे की मौत हो गयी थी, तो किसी ने उसका अंतिम संस्कार नहीं किया। तभी से मैंने तय किया कि अब चाहे हिन्दू हो या मुसलमान सबका अंतिम संस्कार में खुद करूंगा। उन्होंने अंतिम संस्कार की यात्रा को शुरू कर दिया और तब से अब तक 3 हजार हिन्दू और करीब 2 हजार मुस्लिमों के लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुका हूं।
मुहम्मद शरीफ ने बताया कि पद्मश्री मिलने से वो बहुत खुश हैं. उनके काम को लोगों द्वारा सराहा गया और सरकार के द्वारा उनका सम्मान किया गया. इस से उनका मनोबल और बढ़ गया है. वो इसी तरह से आगे भी काम को करते रहेंगे। शरीफ चाचा ने बताया कि उनको इसके लिए किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं मिलती है. वो जनता से ही पैसा इकट्ठा करके लोगों का अंतिम संस्कार करते हैं. उन्होंने बताया कि शुरू में लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे, लेकिन फिर बाद में लोग उनको सम्मान देने लगे. इतना बड़ा सम्मान मिला है जिसके लिए सबका आभार है। मुहम्मद शरीफ ने बताया की प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से कल मुलाकात हुई और बात भी हुई। इतने बड़े लोगों से कभी मुलाकात होगी सोचा नहीं था।