महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर पटोले के खिलाफ मामला दर्ज करने की बजाय पुलिस सिर्फ भाजपा सांसदों, विधायकों और कार्यकर्ताओं को ही गिरफ्तार कर रही है। यह चोर को छोड़कर संन्यासी को फांसी देने का एक रूप है और पुलिस को पटोले के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए और उसे तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए। मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने यह मांग की।
श्री उपाध्ये ने कहा कि पटोले ने खुलासा किया है कि वह प्रधानमंत्री के बारे में बात नहीं कर रहे थे। पर यह खुलासा हास्यास्पद है। नारायण राणे को गिरफ्तार करते समय जो न्याय किया गया, वही पटोले के साथ किया जाना चाहिए। पुलिस प्रधानमंत्री के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए पटोले के खिलाफ शिकायत दर्ज करने को तैयार नहीं है।
जहां एक ओर देश ने कोरोना विरोधी टीकाकरण अभियान में उच्च बढ़त हासिल कर ली है, वहीं महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार की निष्क्रियता के कारण टीकाकरण की गति धीमी हो गई है। उपाध्ये ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि छह महीने पहले यह स्पष्ट था कि ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग टीकाकरण से वंचित हो रहे थे, महाराष्ट्र के लोग प्रधानमंत्री की सलाह की अनदेखी की। उन्होंने कहा कि इसी हठ के कारण महाराष्ट्र में कोरोना की तीसरी लहर सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है।ठाकरे सरकार की लापरवाही से टीकाकरण में पिछड़े
भाजपा नेता ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बार-बार लोगों को कोरोना की तीसरी लहर का खौफ दिखा रहे थे। हालांकि, टीकाकरण में तेजी लाने और नागरिकों की रक्षा करने के बजाय, उन्होंने उन्हें घर से बाहर न निकलने और घर पर रहने की सलाह दी। उपाध्ये ने कहा कि पिछले साल 3 नवंबर को दाओस सम्मेलन से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण अभियान की समीक्षा की थी।
भाजपा नेता ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बार-बार लोगों को कोरोना की तीसरी लहर का खौफ दिखा रहे थे। हालांकि, टीकाकरण में तेजी लाने और नागरिकों की रक्षा करने के बजाय, उन्होंने उन्हें घर से बाहर न निकलने और घर पर रहने की सलाह दी। उपाध्ये ने कहा कि पिछले साल 3 नवंबर को दाओस सम्मेलन से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण अभियान की समीक्षा की थी।
उस बैठक में साफ हो गया था कि महाराष्ट्र टीकाकरण के मामले में पिछड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में फैली भ्रांतियां, विभिन्न अफवाहों के कारण टीकाकरण कराने में झिझक और दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचने में दिक्कतों को टीकाकरण की गति धीमी करने के कारण बताए गए। इस भ्रांति को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री ने बैठक में सुझाव दिया था कि सार्वजनिक शिक्षा दी जाए, स्थानीय स्तर पर धर्मगुरुओं से मदद मांगी जाए, सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से टीकाकरण में लोगों की भागीदारी बढ़ाई जाए।
लेकिन उसके बाद भी मुख्यमंत्री खुद घर पर ही रहे, बिना इनमें से कुछ भी किए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी और व्यवस्था कमजोर होने के बाद भी सरकार नहीं जागी। उपाध्ये ने आरोप लगाया कि सरकार की इस उदासीनता के कारण महाराष्ट्र के 20 जिलों में टीकाकरण की दर 60 प्रतिशत से भी कम रही। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान केंद्र सरकार से वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद महाराष्ट्र सरकार टीकाकरण में तेजी लाने में नाकाम रही है। लेकिन फिर केंद्र पर अपर्याप्त आपूर्ति का आरोप लगाने की राजनीति शुरू हो गई।
यह स्पष्ट हो गया कि महाराष्ट्र में टीकों का अतिरिक्त भंडार था और राज्य सरकार के झूठ का पर्दाफाश हुआ और टीकाकरण धीमा होने का कारण सामने आया। अब स्वास्थ्य मंत्री ने खुद कम टीकाकरण की बात स्वीकार की है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि महाराष्ट्र एक मार्गदर्शक राज्य है, अब महाराष्ट्र के लिए अन्य राज्यों से मार्गदर्शन लेने का समय है। उपाध्ये ने यह भी चेतावनी दी कि अगर लोगों को सरकार की उदासीनता से प्रभावित होना पड़ा तो सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी।
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