महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को बांबे हाईकोर्ट में कहा कि वह राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद के लिए भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी संजय पांडे की उम्मीदवारी पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजे अपने प्रतिवेदन पर पुनर्विचार करने की इच्छुक है।महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने राज्य सरकार की ओर से मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम कार्णिक को यह जानकारी दी।अधिवक्ता दत्ता माने की एक जनहित याचिका पर अदालत में हुई सुनवाई के दौरान कुंभकोणी ने यह बयान दिया। दत्ता ने इस याचिका के जरिए राज्य सरकार को प्रकाश सिंह मामले में पुलिस सुधार पर 2006 के उच्चतम न्यायालय के फैसले में जारी दिशानिर्देश के मुताबिक डीजीपी नियुक्त करने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने पांडे की वार्षिक गोपनीयता रिपोर्ट (एसीआर) से संबंधित राज्य सरकार द्वारा सौंपी गई कई फाइलें देखीं। पीठ ने जिक्र किया कि राज्य सरकार ने अंतिम समय में पांडे की एसीआर में दी गई ग्रेड बढ़ा दी। अदालत ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि प्रतिवादी संख्या-1 (पांडे) राज्य सरकार के चहेते अधिकारी हैं। राज्य का डीजीपी नियुक्त हो जाने पर वह प्रकाश सिंह मामले के फैसले में के अनुरूप अपने कर्तव्यों का निर्वहन कभी नहीं कर पाएंगे।
’’ पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए, डीजीपी पद के लिए इस तरह के अधिकारी पर कभी विचार नहीं करना चाहिए। हमारा कहना है कि राज्य सरकार ने ग्रेड में बदलाव करने के लिए विशेष प्रयास किये।’’ कुंभकोणी ने अदालत से कहा कि उन्हें राज्य सरकार से यह बयान देने का निर्देश मिला है कि राज्य पांडे की उम्मीदवारी पर संघ लोक सेवा आयोग को भेजे अपने प्रतिवदेन पर पुनर्विचार करने को इच्छुक है। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य दो हफ्ते का समय चाहता है। तब तक यह अपने रुख पर पुनर्विचार करेगा।’’
पीठ ने राज्य को कुछ समय दे दिया और कहा कि उसे 21 फरवरी तक अदालत को सूचित करना होगा कि उसने पांडे की उम्मीदवारी के बारे में क्या फैसला किया है। उच्च न्यायालय ने मामले में बहस बंद कर दी और पांडे सहित पक्षों को अपना लिखित नोट 16 फरवरी तक सौंपने का निर्देश दिया। पांडे को महाराष्ट्र सरकार ने राज्य का कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया है।
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