बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दरम्यान अपने अहम फैसले में यह स्पष्ट किया कि पहली पत्नी से शादी का संबंध, यदि कानूनी रूप से समाप्त नहीं किया गया है तो दूसरी पत्नी अपने मृत पति की पेंशन के लिए हकदार नहीं होगी, जहां दूसरी शादी पहली शादी के कानूनी अलगाव के बिना हुई थी।
उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, टेट के पति महादेव, जो सोलापुर जिला कलेक्टर के कार्यालय में एक चपरासी हैं, की 1996 में मृत्यु हो गई थी। महादेव की मौत से पहले ही शादी तय हुई थी। उनकी मृत्यु के बाद, टेट और महादेव की पहली पत्नी ने एक समझौता किया कि पूर्व को मृत व्यक्ति के सेवानिवृत्ति लाभ का लगभग 90 प्रतिशत मिलेगा, जबकि बाद वाले को मासिक पेंशन मिलेगी।
इस बीच में महादेव की पहली पत्नी की कैंसर से मृत्यु के बाद महादेव की पेंशन बकाया को लेकर राज्य सरकार ने 2007 और 2014 के बीच टेट द्वारा किए गए चार आवेदनों को खारिज कर दिया। टेट ने 2019 में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि वह महादेव के तीन बच्चों की मां थीं और समाज उन्हें पति-पत्नी के रूप में जानता था, वह पेंशन प्राप्त करने के लिए पात्र थी। लेकिन पहली पत्नी के बाद से उसे पेंशन मिलना चाहिए।
इस पर पीठ ने कहा कि राज्य सरकार का यह कहना सही है कि केवल कानूनी रूप से विवाहित पत्नी ही पारिवारिक पेंशन की हकदार है। अदालत ने यह भी कहा कि समझौता कानूनी तरीके से नहीं किया गया था, इस कारण से यह मान्य नहीं किया जाएगा। केवल पहली पत्नी ही इसके लिए योग्य है।
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