सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने यह फैसला सुनाया है और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई है| सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि गैंग द्वारा किया गया एक अपराध भी गैंग के सदस्य पर गैंगस्टर एक्ट लागू करने के लिए काफी है|
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि एक अपराधी मामला होने पर भी गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही की जा सकती है| यदि कोई व्यक्ति किसी गैंग का सदस्य है और उस पर एक अपराध का ही आरोप है, तो भी गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही हो सकती है|
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 2016 में बदायूं में हुए हत्याकांड के आरोपी महिला की याचिका पर दिया है| सुप्रीम कोर्ट में एक महिला ने याचिका दाखिल कर दावा किया था कि उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है और वह पहली बार एक आपराधिक मामले में आरोपी बनाई गई थी|
सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पहली बार अपराध करने पर भी इसका इस्तेमाल अपराधी के खिलाफ किया जा सकता है|
वही कोर्ट ने कहा कि पहली बार अपराध करने पर भी गिरोह का हिस्सा बनने के बाद गैंगस्टर एक्ट के तहत आरोपों का सामना करना पड़ सकता है| किसी गैंग का सदस्य जो अकेले या सामूहिक रूप से अपराध करता है, उसको गैंग का सदस्य कहा जा सकता है और गैंग की परिभाषा के भीतर आता है| बशर्ते कि उसने गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2(बी) में उल्लिखित कोई भी अपराध किया हो|
यह भी पढ़ें-