शिवसेना ने शनिवार को कहा कि हाल में हुए ‘चिंतन शिविर’ में कांग्रेस ने अपने नेतृत्व के मुद्दे का समाधान नहीं किया और पार्टी की वर्तमान स्थिति दयनीय है, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है कि एक तरफ भारतीय जनता पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस की स्थिति बेहद चिंताजनक है। शिवसेना की इस टिप्पणी पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने नाराजगी जताई है।
पटोले ने कहा कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए हम महाविकास आघाड़ी में शामिल हुए। स्थानीय निकाय संस्थाओं में हमने देखा है कि कई लोग भाजपा की मदद करने की साजिश कर रहे हैं। विकास निधि के बारे में समानता रखने की आवश्यकता है। इस बारे में भी कांग्रेस के साथ अन्याय किया जा रहा है। निधि के समान वितरण के लिए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को ध्यान रखना चाहिए।
संपादकीय में कहा गया है, “उदयपुर में पार्टी के सम्मेलन में राहुल गांधी ने बहुत से मुद्दों का समाधान नहीं किया। इसलिए विभिन्न राज्यों के कई नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। कांग्रेस की बिहार और उत्तर प्रदेश इकाई में प्रदेश अध्यक्ष तक नहीं हैं।” शिवसेना ने कहा कि सुनील जाखड़, हार्दिक पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद द्वारा कांग्रेस छोड़ने का निर्णय पार्टी नेतृत्व की विफलता को दिखाता है।
मुखपत्र में कहा गया है कि कांग्रेस को उन राज्यों में अपने जनाधार वाले नेताओं के साथ खड़े रहना चाहिए, जहां चुनाव होने वाले हैं। हालांकि, सामना के संपादकीय पर कांग्रेस का रवैया नाराजगी भरा रहा। कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, “कांग्रेस एक विचार है और कई लोग आए और गए। कौन कांग्रेस छोड़ रहा है और कौन शामिल हो रहा है, इस पर विचार करने की बजाय लोगों को देश के ज्वलंत मुद्दों के बारे में सोचना चाहिए।” मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप ने कहा कि पार्टी को किसी की सलाह की आवश्यकता नहीं है।
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