हमारी पुरानी फिल्मों में दिखाया जाता था कि दो भाई एक मेले में गुम जाते हैं और जब मिलते है तो दोनों में बहुत अंतर होता है। एक चोर होता है तो दूसरा सिपाही। ऐसी फिल्मों से हिंदी सिनेमा आट पड़ा है और अंत दुखांत या सुखांत होता है। कितनी अजीब बात है कि आज भारतीय राजनीति में भी इस फार्मूला का उपयोग हो रहा है। वैसे इस फार्मूला का उपयोग कोई दूसरा व्यक्ति नहीं कर रहा है बल्कि राहुल गांधी कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने राहुल गांधी को चने की झाड़ पर चढ़ा दिया है। इसीलिए वे हकीकत से दूर दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं महात्मा गांधी की बात करते है लेकिन उनके विचारों तिरांजलि दे चुके हैं।
दरअसल, कुछ दिनों से बीजेपी नेता और राहुल गांधी चचेरे भाई वरुण गांधी के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि वरुण गांधी का रवैया बता रहा है कि वह बीजेपी से अलग विचार रखकर पार्टी से दूरी बना रहे हैं। इससे साफ़ हो गया है कि आने वाले समय में वरुण गांधी कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। इस संबंध में उन्होंने कहा कि हमारी विचारधारा और बीजेपी की विचारधारा अलग अलग है। उन्होंने कहा कि वे यहां चलेंगे तो उन्हें परेशानी होगी।
उन्होंने आगे कहा कि वरुण ने आरएसएस की विचारधारा को अपनाया है। मै उसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि मै उनसे मिल सकता हूं उन्हें गले लगा सकता हूं, लेकिन उनकी विचारधारा और मेरी विचारधारा नहीं मिलती है।
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