महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा। दरअसल चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चिन्ह देने का फैसला सुनाया है। शिवसेना पर अधिकार को लेकर पिछले कई दिनों से एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट के बीच खींचतान चल रही थी। चुनाव आयोग ने अपने फैसले में शिंदे गुट को शिवसेना का नाम दिया है। चुनाव आयोग ने आदेश दिया कि पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का चिह्न धनुष और तीर एकनाथ शिंदे गुट द्वारा रखा जाएगा।
शिवसेना नेताओं के बगावत के बाद जब एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने थे तब चुनाव निकाय ने शिवसेना के प्रतीक चिन्ह धनुष और तीर को फ्रीज कर दिया था। जिसके बाद शिंदे गुट को ‘दो तलवारें और ढाल’ का प्रतीक और उद्धव ठाकरे खेमे को ‘धधकती मशाल’ का प्रतीक आवंटित कर दिया गया था। दोनों धड़ों ने पार्टी के चुनाव चिह्न और पार्टी के नाम दोनों पर अपना दावा पेश किया था और अदालतों तथा चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। जिसमें अब आखिरकार फैसला आ गया है।
वहीं उद्धव ठाकरे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे “लोकतंत्र की हत्या” बताया। उन्होंने कहा, ‘शिंदे के गुट ने शिवसेना का चुनाव चिन्ह चुरा लिया है। हम लड़ते रहेंगे और उम्मीद नहीं खोएंगे। फिलहाल तो शिंदे को अपनी चोरी से खुश होने दीजिए। एक बार देशद्रोही, हमेशा के लिए देशद्रोही।
इस फैसले से खुश शिंदे ने इसे शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत की “जीत” बताया। उन्होंने कहा कि “मैं चुनाव आयोग को धन्यवाद देता हूं। लोकतंत्र में बहुमत मायने रखता है। यह शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत की जीत है। हमारी सच्ची शिवसेना है।”
बता दें कि एकनाथ शिंदे जून 2022 में 40 विधायकों के साथ महा विकास अघाड़ी सरकार से बाहर चले गए। शिंदे गुट ने विधानसभा में शिवसेना के 56 में से 40 विधायकों और उसके 18 में से 13 सदस्यों के समर्थन का दावा किया था। जिसके बाद भाजपा के समर्थन से उन्होंने गठबंधन सरकार बनाई थी। तभी से वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री है।
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