पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे व सुपुत्र आदित्य ठाकरे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया गया है। अदालत ने याचिका का तथ्यहीन मानते हुए याचिकाकर्ता पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह पता चल सके कि उसके आरोपों में कुछ सच्चाई है।
खंडपीठ ने याचिका को तथ्यहीन मानते हुए इसे कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया और याचिकाकर्ता (गौरी भिड़े व अभय भिड़े) पर 25 हजारु रुपए का जुर्माना भी लगाया। खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका में जो आरोप लगाए हैं उसको लेकर कोई भी ठोस सबूत नहीं पेश किए हैं। एक तरह से कोर्ट में सबूतहीन याचिका दायर की गई है। जिसके आधार पर सीबीआई व ईडी को मामले की जांच का निर्देश नहीं दिया जा सकता है। प्रथम दृष्टया याचिका में कुछ भी ऐसा नहीं है जिसके निष्कर्ष के आधार पर केंद्रीय जांच एजेंसी अथवा किसी और को जांच का निर्देश दिया जा सकें।
खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाते समय उस तर्क को भी अस्वीकार कर दिया जिसके तहत दावा किया गया था कि मुंबई महानगरपालिका में बढ़े भ्रष्टाचार का ठाकरे की परिवार की बढ़ी संपत्ति से सीधा संबंध है। खंडपीठ ने कहा कि हमें ठाकरे परिवार की संपत्ति व मनपा के भ्रष्टाचार से कोई लिंक जुड़ा नजर नहीं आता है। लिहाजा याचिका को खारिज किया जाता है। सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे की ओर से पैरवी करनेवाले वरिष्ठ अधिवक्ता आस्पि चिनॉय ने दावा किया था कि यह याचिका अनुमान व आधारहीन तथ्यों के आधार पर दायर की गई है। इसलिए इस पर सुनवाई न की जाए। याचिका कानून प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
याचिका में मुख्य रुप से उद्धव ठाकरे,उनकी पत्नी रश्मि, पूर्व मंत्री व बेटे आदित्य तथा उनके भाई की संपत्ति की जांच ईडी व सीबीआई को करने का निर्देश देने की मांग की गई थी भिड़े ने याचिका में दावा किया था कि ठाकरे,उनकी पत्नी रश्मि व बेटे आदित्य ने आधिकारिक रुप से कभी अपने के आय के स्त्रोत के रुप में अपने पेशे, नौकरी व कारोबार की घोषणा नहीं की हैं। फिर भी वे मुंबई व रायगढ में करोड़ो रुपए की संपत्ति के मालिक है।
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