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हनुमान जयंती: बुलढाणा के नंदुरा में 105 फीट ऊंचे विशालकाय बजरंगबली​!

105 फीट ऊंची यह हनुमान प्रतिमा बहुत ही सुंदर और भव्य है। मूर्ति के माथे पर सोने का तिलक लगाया जाता है। मूर्ति में एक इंच से लेकर 12 इंच तक के आकार के लगभग 1,000 सिंथेटिक हीरे जड़े हुए हैं। मूर्ति की आंखें 27 इंच गुणा 24 इंच मापी गई हैं और कृत्रिम मानव आंखें बनाने वाली कंपनी द्वारा बनाई गई हैं।​​ ​प्रतिमा को प्रतिदिन स्नान कराने की व्यवस्था की गई है

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कहा जाता है कि हर गांव की कोई न कोई खासियत होती है जो उस गांव को उसकी पहचान देती है|​ ​ऐसा ही कुछ हुआ है बुलढाणा के नंदूरा गांव के साथ|​​ नंदूरा गांव इतना छोटा है|​ ​इस गांव को सेंट्रल रेलवे और राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 6 से नहीं जाना जाता था लेकिन अब नंदुरा गांव को 2001 से एक नई पहचान मिली है वह है “हनुमान नगरी”|​​ इसे देश की सबसे बड़ी हनुमान प्रतिमा के रूप में जाना जाता है दुनिया​ से आज हजारों की संख्या में भक्त इस मूर्ति के दर्शन के लिए नंदुरा आते हैं।
​करीब पच्चीस साल पहले नंदूरा के एक प्याज किसान अपना प्याज बेचने के लिए नागपुर के बाजार में ले गए। वहीं, आंध्र प्रदेश के एक कारोबारी को इस किसान के प्याज की खूबी पसंद आ गई। जब उसने किसान से पूछा कि प्याज कहां से आया तो उसने कहा नंदूरा।
​आंध्र प्रदेश के इस व्यापारी शिवराम मोहनराव ने बाद में नंदुरा का दौरा किया और व्यापार के लिए यहां बसने का फैसला किया। मोहनराव बालाजी के भक्त थे, उन्होंने 1999 में यहां बालाजी ट्रस्ट की स्थापना की। उन्होंने वर्ष 2000 में नंदुरा में हनुमान की एक भव्य और विशाल मूर्ति स्थापित करने का निर्णय लिया।

उस समय ऐसी मूर्ति बनाने में करीब 50 से 60 लाख रुपए का खर्च आता था। उसके लिए उन्होंने आंध्र प्रदेश से मूर्तिकारों को लाकर इस मूर्ति का निर्माण किया। इस मूर्ति के बगल में बालाजी का भव्य और आकर्षक मंदिर बनाया गया है।

105 फीट ऊंची मूर्ति की विशेषताएं: आंध्र प्रदेश के पेड्डापुरम के एक मूर्तिकार जॉन बाबू ने 210 दिनों तक इस मूर्ति को बनाने के लिए अथक परिश्रम किया है। 105 फीट ऊंची यह हनुमान प्रतिमा बहुत ही सुंदर और भव्य है। मूर्ति के माथे पर सोने का तिलक लगाया जाता है। मूर्ति में एक इंच से लेकर 12 इंच तक के आकार के लगभग 1,000 सिंथेटिक हीरे जड़े हुए हैं। मूर्ति की आंखें 27 इंच गुणा 24 इंच मापी गई हैं और कृत्रिम मानव आंखें बनाने वाली कंपनी द्वारा बनाई गई हैं।​ ​प्रतिमा को प्रतिदिन स्नान कराने की व्यवस्था की गई है।

​रिमोट कंट्रोल से प्रतिमा को साढ़े तीन क्विंटल की माला चढ़ाने की भी व्यवस्था की गई है। हनुमान बालाजी के भक्त होने के कारण पास में ही करोड़ों रुपए खर्च कर बालाजी का मंदिर बनाया गया है। यह मंदिर सुंदर है। इसी स्थान पर नेत्र चिकित्सालय भी चलाया जा रहा है|
​हनुमंथा की 105 फीट ऊंची मूर्ति, जो दुनिया में सबसे ऊंची और सबसे बड़ी है, 2003 में “गिनीज बुक ऑफ लिम्का” द्वारा भी मान्यता दी गई है। यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इस स्थान पर वर्ष भर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं।आज हनुमान जन्मोत्सव होने के कारण यहां सुबह से ही लाखों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचे।

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