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Sunday, September 22, 2024
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गैंगस्टर एक्ट में अंसारी बंधुओं को मिली सजा, अफजाल की सांसदी जाने का खतरा

गैंगस्टर एक्ट में अंसारी बंधुओं को गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने सजा सुनाई है।

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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 15 अप्रैल की रात को उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी और माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तीन हमलावरों ने पुलिस की हिरासत में दोनों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं, जिसमें उनकी मौत हो गई। इसके बाद से ही योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के कई माफियाओं की लिस्ट जारी की थी।

इस के अंतर्गत आज माफिया मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर मामले में गाजीपुर की MP/MLA कोर्ट ने 10 साल और उनके भाई बसपा सांसद अफजाल को 4 साल की सजा सुनाई है। मुख्तार पर 5 लाख और अफजाल पर 1 लाख रुपए का जुर्माना कोर्ट ने लगाया है। वहीं, गैंगस्टर एक्ट में ही मुख्तार के भाई सांसद अफजाल को कोर्ट ने दोषी ठहराया है।

बांदा जेल में बंद मुख्तार की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई, जबकि अफजाल खुद कोर्ट पहुंचे थे। अफजाल अंसारी को दो साल से ज्यादा की सजा हुई है। ऐसे में उनकी संसद सदस्यता जाना तय है। बता दें कि किसी संसद सदस्य को दो साल या दो साल से उपर की सजा होती है तो उसकी सांसदी जाना तय है। इस समय अफजाल अंसारी गाजीपुर से सांसद हैं और वह बसपा के टिकट पर जीते थे। वहीं हाल ही में मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनायी गई थी जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने उन्हें सांसदी के लिए अयोग्य माना था।

गैंगेस्टर एक्ट के जिस मामले में कोर्ट ने मुख्तार को सजा सुनाई है। वह मामला 2007 का है। कृष्णानंद राय की हत्या साल 2005 में हुई। उसके 2 साल बाद 22 नवंबर 2007 को गाजीपुर की मुहम्मदाबाद पुलिस ने गैंगस्टर ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया था। इस केस में पुलिस ने कृष्णानंद राय की हत्या, उसके बाद हुई आगजनी-बवाल और कारोबारी नंद किशोर रुंगटा की अपहरण-हत्या को आधार बनाते हुए दर्ज किया था। हालांकि 2005 में हुई पूर्व विधायक कृष्णानंद राय की हत्या मामले में कोर्ट अंसारी बंधु को बरी कर चुकी है। लेकिन, गैंगस्टर एक्ट का यह मामला इसी से जुड़ा है।

गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर 1985 से 2002 तक अंसारी बंधुओं का दबदबा रहा। साल 2002 में भाजपा नेता कृष्णानंद राय ने अंसारी फैमिली का विजय रथ रोकते हुए चुनाव जीता और विधायक बन गए। इस वजह से अंसारी बंधुओं में काफी रोष था। वहीं चुनावी जितने के तीन साल बाद 29 नवंबर 2005 को बीजेपी विधायक राय एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने जा रहे थे। टूर्नामेंट पास के गांव में था। इसलिए वे बुलेट प्रूफ गाड़ी की जगह सामान्य वाहन से चले गए। यहां से जब वो लौटने लगे, तब भावंरकोल की बसनिया पुलिया के पास एसयूवी गाड़ी उनकी गाड़ी के सामने आकर खड़ी हो गई। विधायक और उनके साथी कुछ भी समझ पाते, इससे पहले ही एसयूवी से 8 लोग उतरे और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।

AK-47 से तकरीबन 500 राउंड फायरिंग की गई। विधायक और उनके साथ गाड़ी पर सवार 6 लोग और गाड़ी भी छलनी हो गई। विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 शवों का जब पोस्टमॉर्टम हुआ, तो सभी के शरीर से कुल 67 बुलेट मिलीं। मृतकों में विधायक के अलावा मोहम्दाबाद के पूर्व ब्लॉक प्रमुख श्याम शंकर राय, भांवरकोल ब्लॉक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव और उनके अंगरक्षक निर्भय नारायण उपाध्याय थे।

जज ने जब मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई। उस वक्त अफजाल अंसारी को कोर्ट से बाहर कर दिया गया। कोर्ट के बाहर RAF तैनात है। बाहरी शख्स की एंट्री बंद कर दी गई। मीडिया कर्मियों को भी कोर्ट परिसर से बाहर कर दिया गया।  ऐसे में कोर्ट के फैसले से पहले कृष्णानंद राय की पत्नी अल्का राय ने मीडिया से बात की। कहा, “मुझे न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा है।”

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