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Sunday, November 10, 2024
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नई संसद एक विवाद अनेक, जाने आधारशिला से उद्घाटन तक कब-कब बरपा हंगामा 

तमाम विवाद के बीच पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई को नई संसद का उद्घाटन करेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि नई संसद भवन ऐसी इमारत है जिसकी नींव ही विवाद में पड़ी है।  

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तमाम विवाद, तमाम दुश्वारियों के बीच पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई को नई संसद का उद्घाटन करेंगे।इसके साथ ही अच्छे मुद्दे और बुरे मुद्दे इतिहास की काली स्याही में दर्ज हो जाएंगे। लेकिन सबसे दबी बात यह है कि नई संसद भवन ऐसी इमारत है जिसकी नींव ही  विवाद में पड़ी है तो अगर अगर उसके उद्घाटन को लेकर विपक्ष तेवर दिखा रहा है तो इसमें किसी को हैरान होने की जरूरत नहीं है। इस नई संसद का 21 दल विरोध कर रहे हैं। जिसमें कांग्रेस भी शामिल है। और हर दल के अपने अपने तर्क और कुतर्क हैं। कांग्रेस सहित कुछ दल कह रहे हैं कि नई संसद का उद्घाटन पीएम मोदी को नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए। वहीं, कांग्रेस का इसमें एक तर्क है कि नई संसद का उद्घाटन 28 मई यानी वीर सावरकर के जन्मदिन के अवसर पर किया जा रहा है। राहुल गांधी वीर सावरकर का कई बार विरोध कर चुके हैं और उनका नाम लेकर अपमानित भी कर चुके हैं। तो आइये जानते हैं कि नई संसद का कब कब विवादों में रही।

कोरोना काल में आधारशिला: तो पीएम मोदी ने कोरोना काल में ही दिसंबर 2020 में नई संसद भवन की आधारशिला रखी थी। तब भी विपक्ष सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहा था। जब इस भवन का निर्माण हो रहा था उस समय भी इससे जुडी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। इस याचिका में नई संसद का निर्माण कार्य रोकने की मांग की गई थी। लेकिन कोर्ट ने अपना फैसला सरकार के पक्ष में सुनाया था और कहा था, इसके निर्माण कार्य में कोरोना काल में लगाए गए प्रतिबंध का कोई उल्लंघन नहीं हो रहा है।  इतना ही नहीं इस भवन के निर्माण में लगी लागत पर भी सवाल उठाया गया था। इसके अलावा जब यह कार्य पूर्ण हुआ तो  संसद के भवन के छत पर लगने वाले राष्ट्रीय प्रतीक शेर के लुक को लेकर भी विपक्ष ने हंगामा  खड़ा किया था। यह भी मामला सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दे चुका है।

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कोरोना काल में बजट विवाद: 
कोरोना काल में खबर आई थी कि केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए 20,000 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है। लेकिन बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने कहा कि 2026 तक की विकास परियोजनाओं के लिए बजट आवंटित किया गया था। तब बताया गया था कि नई संसद भवन के लिए 862 करोड़ रूपये आवंटित  किये गए हैं। जिस पर विपक्ष ने सवाल खड़ा किया था। 2020 में जहां पूरी दुनिया कोरोना काल में कोरोना के चपेट में झटपटा रही थी। जबकि उस समय नई संसद का निर्माण कार्य जोरों पर था। अप्रैल 2020 में डीएमके के नेता टीआर बालू ने एक वीडियो शेयर कर इस निर्माण कार्य को रोकने की पीएम मोदी से अपील की थी। तब बालू ने  कहा था कि पीएम मोदी को नई संसद के निर्माण कार्य के बजाय कोरोना से लड़ने पर ध्यान देना चाहिए। उसी समय दिसंबर में अभिनेता कमल हसन ने भी नई संसद के निर्माण पर सवाल किया था।

 
पर्यावरण विशेषज्ञों ने की थी आलोचना : वहीं , सेन्ट्रल विस्टा योजना में नई संसद भवन, प्रधानमंत्री  आवास और केंद्रीय सचिवालय भी है।  जहां पर बहुत सारे पेड़ हैं। वहीं, निर्माण कार्य के दौरान पेड़ों के काटे जाने पर पर्यावरण विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार की आलोचना की थी। हालांकि केंद्रीय लोक निर्माण ने कहा था कि निर्माण  के लिए पेड़ों को काटने से बचेगा और संभव होगा तो वृक्षारोपण भी करेगा।  इस संबंध में संसद में सरकार ने बताया था कि 404 पेड़ों को इको पार्क में लगाया गया।
 

शेरों के हाव भाव पर विपक्ष का हंगामा: बिमल पटेल के नेतृत्व में नई संसद का डिजाइन तैयार किया गया है। गुजरात स्थित आर्किटेक्चर फर्म एचसीपी डिजाइंस को नई संसद के निर्माण के लिए चुना गया था।  इस कंपनी को 229. 75 करोड़ रूपये भुगतान किया गया था। बिमल पटेल को  पीएम मोदी का पसंदीदा आर्किटेक्चरके तौर पर जाना जाता है। उन्होंने पीएम मोदी के कई ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा किया है। 11 जुलाई  2022 में नई संसद पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया गया। इस राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण पीएम मोदी ने ही किया था। उस समय शेरों के हावभाव को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था और यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। विपक्ष के नेताओं का कहना था कि शेर क्रूर दिखाई दे रहे हैं। याचिकाकर्ता का कहना था कि  वाराणसी के सारनाथ संग्रहालय में स्थित राजकीय प्रतीक के विपरीत नए प्रतीक में शेर खुले मुंह के साथ काफी क्रूर दिखाई दे रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि नया राष्ट्रीय प्रतीक  किसी भी तरह से भारतीय राज्य प्रतीक अधिनियम 2005 का उल्लंघन नहीं करता है।अब नई संसद का पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन किये जाने का विरोध में याचिका दायर की गई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी थी और याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई थी।

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