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Monday, November 25, 2024
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ASI द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के बैरिकेड क्षेत्र का सर्वेक्षण आज से शुरू

वाराणसी की अदालत ने अपने आदेश में एएसआई से 4 अगस्त तक रिपोर्ट मांगी है।

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सोमवार की सुबह से ही ज्ञानवापी मस्जिद के बैरिकेड क्षेत्र का एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) सर्वे शुरू हो रहा है। दरअसल हाल ही में वाराणसी अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के सील किए गए हिस्से को छोड़कर, ज्ञानवापी मस्जिद के बैरिकेड वाले क्षेत्र का एएसआई द्वारा व्यापक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मस्जिद पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के ऊपर बनाई गई थी या नहीं। उधर राखी सिंह की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल किया गया है

एएसआई के निदेशक मस्जिद के तीन गुंबदों के ठीक नीचे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से सर्वेक्षण करें और यदि आवश्यक हो तो खोदाई करें। इमारत के पश्चिमी दीवार के नीचे सर्वे करें और खोदाई करें। सभी तहखानों की जमीन के नीचे सर्वे करें और यदि आवश्यक हो तो खोदाई करें।

एएसआई सर्वे को लेकर हिन्दू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि आज ज्ञानवापी सर्वे होगा जो हम लोग के लिए अच्छा है। सर्वे सुबह 7 बजे शुरू होगा और कब तक चलेगा ये कह नहीं सकते। जबकि मस्जिद प्रबंधन समिति ने वाराणसी जिला न्यायाधीश की अदालत द्वारा इस कार्य की अनुमति देने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

ASI द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण पर काशी क्षेत्र DCP राम सेवक गौतम ने कहा कि  किसी भी प्रकार के दो पहिए और चार पहिए वाहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाई गई है। वहां पर पार्किंग की व्यवस्था की गई है और साथ ही बैरिकेडिंग भी की गई है ताकि किसी भी श्रद्धालु को कोई परेशानी ना हो।

ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा- “सर्वेक्षण पूरी तरह से किया जाएगा। सर्वेक्षण अभी शुरू हुआ है, एएसआई बता सकता है कि रिपोर्ट कब पेश की जाएगी। सर्वेक्षण के लिए एएसआई से 30 लोगों की एक टीम यहां आई है।

गौरतलब ही कि वाराणसी की अदालत ने अपने आदेश में एएसआई से 4 अगस्त तक रिपोर्ट मांगी है, जब मामले पर अगली सुनवाई होगी। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वहीं अदालत के मुताबिक इमारत में पाई जाने वाली सभी कलाकृतियों की एक सूची तैयार की जाएगी। उन कलाकृतियों की उम्र और प्रकृति का पता लगाई जाएगी। इमारत की आयु, निर्माण की प्रकृति का भी पता लगाया जाएगा। जीपीआर सर्वेक्षण के साथ ही जहां भी आवश्यक होगा, वहां उत्खनन किया जाएगा।

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