गत दिनों पहले देश में हुए राज्यसभा चुनाव के बाद हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में भूचाल आया हुआ है| इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग और कांग्रेस में फूट का आलम यह था कि 25 विधायकों वाली भाजपा ने अपने उम्मीदवार को राज्यसभा में भेजने में सफल हुई, लेकिन बहुमत वाली हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को हार का सामना करना पड़ा| इसके बाद से कांग्रेस विधायकों और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू के बीच खटास बढ़ता दिखाई दे रहा है| सुख्खू सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे विक्रमादित्य के बगावती तेवर ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ता दिखाई दे रहा है|
गौरतलब है हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में विक्रमादित्य सिंह की बतौर पीडब्ल्यूडी मंत्री के रूप में की जाती रही, लेकिन विक्रमादित्य के बगावती तेवर के बाद से प्रदेश की पूरी कांग्रेस सरकार हिल गयी है|उनके मंत्री पद से इस्तीफे देने के बाद से अब उन्होंने फेसबुक से पीडब्ल्यूडी मंत्री की पहचान भी हटा दी है| उसके स्थान पर अब हिमाचल प्रदेश का सेवक लिख दिया है|
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की मुश्किलें कम होती नहीं दिखाई दे रही हैं।बगावती रुख अख्तियार किये विक्रमादित्य सिंह को मनाने की काफी कोशिश की जा रही हैं, लेकिन अभी भी सिंह की नाराजगी खत्म होती नहीं दिख रही है। फेसबुक पर अपना पद और पहचान को अलग करके बताना उनकी पार्टी छोड़ने की अटकलें तेज हो गई हैं।
उन्होंने फेसबुक पर अपनी पहचान बदलते हुए ‘पीडब्ल्यूडी मंत्री’ हटाकर हिमाचल प्रदेश का सेवक लिख दिया है। उधर विक्रमादित्य सिंह की मां और हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस अध्यक्ष सांसद प्रतिभा सिंह भी भाजपा की तारीफ करती दिखाई दे रही हैं। ऐसे में हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल एक बार फिर मंडराने लगे हैं। विक्रमादित्य फिलहाल दिल्ली में है। इससे पहले वह पंचकुला गए थे, जहां उन्होंने अयोग्य घोषित किए गए कांग्रेस विधायकों से मुलाकात की थी।
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