भारत दुनियां का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश माना जाता है| देश में कही न कही चुनाव होता ही रहता है| लोकतंत्र के इस पर्व को संपन्न कराने में धन-बल और समय बड़े पैमाने पर खर्च किये जाते हैं| इसी को लेकर ‘एक देश और एक चुनाव’ कराने के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गयी| समिति ने 191 दिनों की गहन रिसर्च और 18,626 पन्नों एक रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को सौंपी गयी है|जिसमें लोकसभा और राज्यों की विधानसभा सहित विभिन्न निकायों के एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रियात्मक और तार्किक पहलुओं को दर्शाया गया है|
बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की नेतृत्व वाली इस समिति ने राष्ट्रपति भवन में द्रोपदी मुर्मू से भेट की| राष्ट्रपति से भेट के दौरान समिति द्वारा एक राष्ट्र, एक चुनाव पर विस्तृत अपनी एक रिपोर्ट सौंपी गयी है| बता दें कि 18,626 पन्नों की इस रिपोर्ट को तैयार करने में 191 दिनों का समय लगा| इस दौरान इस रिपोर्ट को लेकर समाजसेविओं, विशेषज्ञों और अनुसंधान कार्य के साथ ही साथ रिसर्च एक नतीजा समाहित किया गया है|
यही नहीं समिति के सदस्यों यह तक भी कहा कि उनकी सभी सिफारिशें सार्वजनिक रूप से लोगों को भी उपलब्ध होनी चाहिए| वही अब यह सब सरकार पर निर्भर करता है कि इसे स्वीकार या अस्वीकार करती है| एक अनुमान लगाया जा रहा है कि समिति ने वर्ष 2029 में एक साथ चुनाव कराने का सुझाव देगी|
बता दें कि 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्राची मिश्रा द्वारा एक साथ चुनावों की आर्थिक व्यवहार्यता पर एक पेपर शामिल है। रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक वित्तीय और प्रशासनिक संसाधनों का भी उल्लेख किया जाएगा। आयोग ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों सहित विभिन्न हितधारकों से प्राप्त फीडबैक पर विचार किया है।
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