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Monday, November 25, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को लगाई फटकार; हिरासत से जुड़े अहम आदेश?

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सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को तगड़ा झटका दिया है| सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर विशेष अदालत ने शिकायत पर संज्ञान ले लिया है तो जांच एजेंसी ईडी पीएमएलए यानी मनी लॉन्ड्रिंग के प्रावधानों के तहत आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है|मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अगर किसी आरोपी को जांच के दौरान ईडी द्वारा गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो पीएमएलए अदालत आरोप पत्र पर संज्ञान लेती है और उसे तलब करती है। उस वक्त कोर्ट ने यह भी कहा था कि कोर्ट में पेश होने के बाद पीएमएलए के तहत जमानत की दोहरी शर्त पूरी करने की जरूरत नहीं है| कोर्ट का यह आदेश ईडी के लिए बड़ा तमाचा बताया जा रहा है|

ऐसे में अगर ईडी किसी शख्स को गिरफ्तार करना चाहती है तो जांच एजेंसियों को कोर्ट से ही हिरासत मांगनी होगी| कोर्ट ने कहा कि आरोपी को ईडी की हिरासत तभी दी जाएगी जब जांच एजेंसी के पास आरोपी से पूछताछ करने की कोई ठोस वजह होगी| पीएमएलए में जमानत की दोहरी शर्त है। ऐसे में आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है|

गिरफ़्तारी नहीं कही जा सकती: जस्टिस अभय एस ओकाया और उज्जल भुइयां की बेंच ने यह फैसला सुनाया| यदि अभियुक्त समन (अदालत द्वारा) के बाद अदालत में उपस्थित होता है, तो यह नहीं कहा जा सकता कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। समन के बाद अदालत में पेश होने वाले आरोपियों को जमानत के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं है। तदनुसार, अदालत ने स्पष्ट किया है कि पीएमएलए की धारा 45 की दोहरी शर्तें उस पर लागू नहीं होती हैं।

संपत्ति के मामलों में, यदि कोई आरोपी जमानत के लिए आवेदन करता है, तो अदालत को पहले सरकारी पक्ष को उपस्थित होने की अनुमति देनी होती है। कोर्ट तभी जमानत देता है जब कोर्ट संतुष्ट हो जाए कि आरोपी दोषी नहीं है और रिहाई के बाद दोबारा ऐसा अपराध नहीं करेगा। क्या किसी अभियुक्त को संपत्ति मामले में दोहरी परीक्षा से गुजरना पड़ता है? यह सवाल पूछे जाने के बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है|

अदालत ने कहा, अगर ईडी आगे की जांच के लिए आरोपी की गिरफ्तारी चाहती है और आरोपी पहले ही समन जारी करने के बाद अदालत में पेश हो चुका है, तो ईडी को विशेष अदालत में आवेदन करना होगा और आरोपी को गिरफ्तार करने की अनुमति मांगनी होगी। आरोपी का पक्ष सुनने के बाद विशेष अदालत को अर्जी पर आदेश पारित करना होगा| कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोर्ट को लगता है कि पूछताछ के लिए आरोपी की हिरासत जरूरी है तो कोर्ट आरोपी की गिरफ्तारी की इजाजत तभी दे सकती है, जब आरोपी को धारा 19 के तहत गिरफ्तार नहीं किया गया हो|

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