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Wednesday, October 23, 2024
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केंद्र सरकार को SC का बड़ा झटका, औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन पर राज्यों के पक्ष दिया निर्णय!

नौ जजों की संवैधानिक पीठ ने सात जजों की पीठ का फैसला पलटते हुए कहा की औद्योगिक शराब पर कानून बनाने की राज्य की शक्ति को नहीं छीना जा सकता|

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सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक शराब के उत्पादन को लेकर केंद्र सरकार को झटका देते हुए राज्य सरकारों के पक्ष में फैसला दिया है|सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संवैधानिक पीठ ने सात जजों की पीठ का फैसला पलटते हुए कहा की औद्योगिक शराब पर कानून बनाने की राज्य की शक्ति को नहीं छीना जा सकता है|पीठ ने कहा की केंद्र के पास औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन पर विनियामक शक्ति का अभाव है|सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की पीठ ने 8-1 के बहुमत से फैसला दिया| 

उल्लेखनीय है की साल 1997 में सात जजों की पीठ ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन को विनियमित करने का अधिकार दिया था|वर्ष 2010 में इस मामले को नौ जजों की पीठ के पास समीक्षा के लिए भेजा गया| नौ जजों की पीठ के पास समीक्षा के लिए भेजा गया|नौ जजों की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि औद्योगिक अल्कोहल मानव उपभोग के लिए नहीं है| 

पीठ ने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य सूची की प्रविष्टि आठ, राज्यों को मादक मदिरा के निर्माण, परिवहन, खरीद और बिक्री पर कानून बनाने का अधिकार देती है|वही केंद्र सरकार के अधिकार वाले उद्योगों की सूची संघ सूची की प्रविष्टि 52 और समवर्ती सूचि की प्रविष्टि 33 में दी गई है|समवर्ती सूचि के विषयों पर केंद्र और राज्य विधानमंडल, दोनों को कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन केंद्रीय कानून को राज्य के कानून पर प्राथमिकता देने का प्रावधान है|  

सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक शराब के उत्पादन को लेकर केंद्र सरकार को झटका देते हुए राज्य सरकारों के पक्ष में फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संवैधानिक पीठ ने सात जजों की पीठ का फैसला पलटते हुए कहा कि औद्योगिक शराब पर कानून बनाने की राज्य की शक्ति को नहीं छीना जा सकता। पीठ ने कहा कि केंद्र के पास औद्योगिक एल्कोहल के उत्पादन पर विनियामक शक्ति का अभाव है। सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की पीठ ने 8:1 के बहुमत से फैसला दिया।

गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ जजों की पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस उज्जवल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल रहे। पीठ में सिर्फ जस्टिस बीवी नागरत्नी ने बहुमत के फैसले से असहमति जताई। 

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