सुप्रीम कोर्ट ने मलयालम अभिनेता सिद्दीकी को दुष्कर्म मामले में राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक को बढ़ा दिया है। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने 30 सितंबर के अपने अंतरिम आदेश को बढ़ाते हुए सिद्दीकी को गिरफ्तारी से राहत दी है। साथ ही उन्हें जांच में सहयोग करने को कहा है। सिद्दीकी की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी कोर्ट में पेश हुए। रोहतगी ने गला खराब होने का हवाला देते हुए अपना पक्ष रखने के लिए कुछ समय देने की मांग की।
बता दें कि इस मामले में जांच एजेंसियों द्वारा बार-बार सिद्दीकी से उनके साल 2016 का मोबाइल फोन और लैपटॉप मांगा जा रहा है, जबकि अब ये उनके पास नहीं है। साथ ही जांच एजेंसियों द्वारा सिद्दीकी का पासपोर्ट और आधार कार्ड नंबर भी मांगा जा रहा है। केरल पुलिस की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार पेश हुए। उन्होंने कहा कि सिद्दीकी जांच में पुलिस के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं।
24 सितंबर को हाईकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद सिद्दीकी ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। जमानत खारिज होने के बाद से अभिनेता फरार हैं।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपी ने 2016 में तिरुवनंतपुरम के मैस्कॉट होटल में पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया था। इस बात को साबित करने के लिए गवाह और आपत्तिजनक सामग्री मौजूद है कि याचिकाकर्ता और पीड़िता होटल के कमरे में एक साथ थे। म्यूजियम पुलिस स्टेशन द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
सुनवाई के दौरान सिद्दीकी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि बलात्कार के मामलों में आरोपी अन्य अभिनेताओं को निचली अदालत ने जमानत दे दी है। वकील ने कहा कि अभिनेत्री ने आठ साल बीत जाने के बाद 2024 में शिकायत दर्ज कराई थी। पीठ ने पीड़िता की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर से शिकायत दर्ज करने में हुई देरी का कारण पूछा।
ग्रोवर ने कहा, “2014 में शिकायतकर्ता सिर्फ़ 19 साल की थी। उसने फ़ेसबुक पर उससे संपर्क किया और कहा कि उसे उसकी तस्वीर पसंद है। 2016 में उसे एक सुपरस्टार ने प्रीव्यू के लिए आमंत्रित किया था। मैंने होटल में जो कुछ हुआ, उसके बारे में विस्तृत विवरण दिया है।” “यह केरल केंद्रित मुद्दा नहीं है। हॉलीवुड में महिलाओं को हार्वे वीनस्टीन जैसे लोगों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने से किसने रोका?”
उच्च न्यायालय ने सिद्दीकी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि अपराध की उचित जांच के लिए उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करना अपरिहार्य है, खासकर तब जब उसका बचाव घटना से पूरी तरह इनकार कर रहा है।
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