केंद्र की मोदी सरकार ने गुरुवार (12 दिसंबर) को कैबिनेट बैठक में ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दे दी, इसलिए संभावना है कि सरकार जल्द ही इस बिल को सदन में पेश करेगी। उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में ही यह बिल ला सकती है।
मोदी सरकार पिछले कुछ वर्षों से ‘एक देश, एक चुनाव’ के लिए प्रयास कर रही है। बीजेपी ने चुनावी घोषणा पत्र में इस संबंध में वादा किया था। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी कई बार जनता से वादा कर चुके हैं। यह समिति पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में नियुक्त की गई थी। इस समिति ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के पक्ष में अपनी राय दी। इसके बाद गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को मंजूरी दी गई. केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इस संबंध में विधेयक जल्द ही संसद में पेश किए जाने की संभावना है। यह बिल शीतकालीन सत्र में ही आने की संभावना है।
अब यह बिल लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया जाएगा। दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति इन पर हस्ताक्षर करेंगे और यही कानून बन जायेगा। तो अब सभी की नजर इस बात पर रहेगी कि एनडीए सरकार ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल को संसद में कब पेश करेगी। इसी बीच, बिल अगले हफ्ते मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जा सकता है। लोकसभा और राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत है। इसलिए अगर एनडीए के सभी दल इस बिल का समर्थन करते हैं तो यह पारित हो जाएगा।
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बता दें की, स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण में नरेंद्र मोदी ने ‘एक देश, एक चुनाव’ की नीति का जिक्र किया था। ‘एक देश, एक चुनाव’ के फैसले के लिए सभी राजनीतिक दलों को पहल करनी चाहिए। बस तीन-चार महीने में चुनाव हो जाना चाहिए, चूंकि चुनाव एक साथ हो रहे हैं, इसलिए विकास कार्य बाधित नहीं होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि चुनाव आयोजन की लागत भी कम की जाएगी।
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